पटना। पिछले साल यूएई में आइपीएल के 13वें संस्करण में 516 रन और सर्वाधिक 30 छक्के जमाकर सुर्खियां बटोरने के बाद यह तय हो गया था कि पटना के इशान किशन के कदम भारतीय टीम के दरवाजे के करीब हैं। इस साल विजय हजारे ट्रॉफी के पहले मुकाबले में ही मध्य प्रदेश के खिलाफ उन्होंने 94 गेंदों में 173 रनों की पारी खेली और उसी दिन भारतीय टीम का हिस्सा होने का उसका सपना पूरा हो गया।
रविवार को जब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टी-20 मैच में मौका मिला तो उन्होंने आतिशी पारी खेलकर यह दिखाया कि क्यों उन्होंने पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट को तरजीह दी। आज उन्हें यह अफसोस भी नहीं होगा कि क्रिकेट के कारण स्कूल से गायब रहने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था। उन्हें यह भी अफसोस नहीं होगा कि बेहतर भविष्य की खोज में उन्होंने 12 साल पहले बिहार को छोड़ झारखंड का रुख किया था
इशान शुरू से ही पढ़ाई में कमजोर थे। क्रिकेट के कारण वह अपने स्कूल डीपीएस से हमेशा गायब रहते। इसी कारण नौवीं कक्षा में उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया गया। जैसे-तैसे पटना के समीप दानापुर के एक स्कूल से उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास की। इस दौरान संतोष कुमार और उत्तम मजुमदार जैसे कोच ने उन्हें तराशा। बड़े भाई राज किशन की भी इसमें अहम भूमिका रही, जिन्होंने इशान को क्रिकेटर बनाने में अपने क्रिकेट करियर को त्याग दिया।
हालांकि, बिहार क्रिकेट के हालात सही नहीं रहने से 2011 में इशान को झारखंड जाना पड़ा। झारखंड की ओर से त्रिपुरा के खिलाफ अंडर-16 में उनका पहला मुकाबला था, जहां खराब प्रदर्शन उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकता था। बहरहाल, उन्होंने पहली पारी में 67 रन बनाए और दूसरी पारी में नाबाद 97 नाबाद की पारी खेली। अंतिम गेंद पर जीत के लिए चार रन बनाने थे, जिस पर उन्होंने छक्का जड़कर टीम को जीत दिलाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
रणजी, दलीप और विजय हजारे ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बाद इशान को 2016 में अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। उनकी कप्तानी में टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया। इशान किशन के पिता प्रणव पांडेय का कहना है, “आज मेरा ही नहीं, पूरे बिहार का सपना इशान ने पूरा कर दिया। वह और लंबी पारी खेल सकता था। मुझे उम्मीद है कि बड़े खिलाडि़यों के साथ ड्रेसिंग रूम में समय बिताने से उसका अनुभव बढ़ेगा और वह लंबे समय तक भारतीय टीम की सेवा कर सकेगा।”