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मंगल पर पहुंचेंगे तीन अंतरिक्ष यान: लाल ग्रह पर आज उतरेगा यूएई का यान, चीनी यान कल और नासा यान 18 फरवरी को रखेगा कदम

केप केनेवेरल। लाखों मील दूर अंतरिक्ष में एक बार फिर चहलकदमी बढ़ने वाली है जब तीन अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह पर उतरेंगे। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का यान तो मंगलवार को पहुंचेगा। इसके 24 घंटे बाद चीन का यान मंगल की यात्रा करेगा। इन दोनों देशों के यान के एक सप्ताह बाद नासा का रोवर कॉस्मिक कैबूज 18 फरवरी को मंगल पर कदम रखने वाला है। वह वहां मिट्टी तथा मौजूद चट्टानों के टुकड़े एकत्र करेगा और फिर उन्हें लेकर धरती पर वापस लौटेगा। अंतरिक्ष के इन अभियानों का उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि क्या मंगल में कभी जीवन था।

जल्द ही मंगल पर पहुंचेंगे तीन अंतरिक्ष यान

मंगल की यात्रा करने के प्रयास में संयुक्त अरब अमीरात और चीन नए देश हैं। इनके बहुत सारे अभियान असफल रहे हैं। रूस के सहयोग से वर्ष 2011 में चीन ने पहली बार मंगल पहुंचने की असफल कोशिश की थी। उधर, यूएई के विज्ञानी अपने इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। यूएई मंगल अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर ओमरान शराफ ने कहा कि हम खुश हैं, पर चिंतित और तनाव में भी हैं। बता दें कि ये तीनों ही अंतरिक्ष यान कुछ ही दिनों के अंतर में प्रक्षेपित किए गए थे। इसलिए मंगल ग्रह पर उनकी आवक भी करीब है।

चीन मंगल पर उतरने वाला दूसरा देश होगा, अमेरिका लाल ग्रह पर मौजूदगी दर्ज करा चुका है

चीनी अंतरिक्ष यान तिआनवेन-1 के रोवर और ऑर्बिटर मई तक मंगल के कक्षा में ही भ्रमण कर उतरने के लिए उपयुक्त जगह की तलाश करेंगे और उसके बाद सही समय पर धूल भरी सुर्ख लाल सतह पर उतरने के लिए रोवर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। यदि इस प्रक्रिया में सब कुछ ठीक रहता है तो चीन मंगल पर उतरने वाला दूसरा देश बन जाएगा। अभी तक केवल अमेरिका ने ही लाल ग्रह में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।

नासा का यान 30 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था

उधर, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान बीते वर्ष 30 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। इसका रोवर परसेवेरेंस भी बुधवार को इससे अलग होगा और क्यूरियोसिटी रोवर की तरह ही सीधा लाल ग्रह की सतह ओर बढ़ना शुरू कर देगा। बता दें कि क्यूरियोसिटी को वर्ष 2012 में लांच किया गया था।

मंगल पर मिलेंगी कई अहम जानकारियां

नासा के विज्ञानियों का कहना है कि इस अभियान से मंगल पर जीवन के प्रमाण खोजने के अलावा लाल ग्रह के बारे में कई अहम जानकारी प्राप्त होंगी जिससे 2030 तक मानव अभियान के लिए मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेंस्टीन ने कहा, ‘इस रोवर का नाम परसेवेरेंस इसलिए रखा गया है क्योंकि वहां जाना बहुत कठिन है।’ परसेवेरेंस का अर्थ दृढ़ता या संकल्पित होकर किसी कार्य को करना है।