Logo
ब्रेकिंग
ले*वी के लिए ठेकेदारों को धम*की देने वाले पांडे गिरोह के चार अपरा*धी गिर*फ्तार रामगढ़ पुलिस ने लेवी के लिए हमले की योजना बना रहे मुखलाल गंझु को हथियार के साथ किया गिरफ्तार बालू खनिज के अवैध खनन व परिवहन पर 1 हाईवा वाहन को किया गया जब्त, प्राथमिकी दर्ज। जरुरतमंदों व गरीबो के लिए 31 अगस्त से शुरू होगा "खाना बैंक" इनलैंड पॉवर लिमिटेड ने कई विद्यालय को दिए वॉटर प्यूरीफायर, सेनेटरी पैड व लगाए पौधे Congress प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश का जिला अध्यक्ष जोया परवीन ने किया स्वागत Kids world स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी कलर बेल्ट कराटे ग्रेडेशन के दौरान प्रतिभागियों ने कराटे के तकनीकों का प्रदर्शन किया! सांसद मनीष जायसवाल ने मंडईखुर्द वासियों से किया वादा निभाया Royal mens parlour का बरकाकाना मार्केट कांप्लेक्स में हुआ उद्घाटन!

दिल्ली चुनाव से पहले BJP ने करीब डेढ़ करोड़ लोगों को भेजा था मनोज तिवारी का DeepFake वीडियो

मनोज तिवारी के भाषण का हरियाणवी संस्करण एक प्रस्तुति के दौरान सामने आया था। हमने केवल एक बार व्हाट्सऐप पर इसका परीक्षण किया

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इस वीडियो में मनोज तिवारी हरियाणवी और अंग्रेजी बोलते हुए नजर आ रहे थे। बता दें कि इस वीडियो को किसी और ने नहीं बल्कि खुद भाजपा ने वायरल किया था। दरअसल इन वीडियो पर अब भाजपा की तरफ से बयान आया है कि यह सिर्फ एक प्रयोग था। भाजपा ने कहा कि उनकी टीम ने अपने व्हाट्सऐप ग्रुप (Whatsapp group) पर एक टेस्टिंग की थी।

मीडिया से बात करते हुए, दिल्ली भाजपा आईटी सेल और सोशल-मीडिया सह प्रभारी नीलकांत बख्शी ने कहा कि इस वीडियो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी (Deepfake uses AI) का यूज कर बनाया था और दिल्ली-एनसीआर में इसकी टेस्टिंग करते हुए इस वीडियो को करीब 5800 Whatsapp groups पर भेजा गया था। जो लगभग डेढ़ करोड़ लोगों तक पहुंच गया। आईटी सेल सह प्रभारी ने कहा कि हमने अपने सोशल मीडिया अभियान के लिए इस तकनीक का उपयोग नहीं किया।

मनोज तिवारी के भाषण का हरियाणवी संस्करण एक प्रस्तुति के दौरान सामने आया था। हमने केवल एक बार व्हाट्सऐप पर इसका परीक्षण किया और यह वायरल हो गया हालांकि यह सोशल मीडिया या कहीं और हमारे अभियान का हिस्सा नहीं था। नीलकांत बख्शी ने कहा कि हमारे पास कई एजेंसियां आती हैं और अपने उत्पादों के बारे में बताती हैं या दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि हमने डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल करके इस तरह के वीडियो बनाने के लिए किसी एजेंसी के साथ करार किया है। हमने सिर्फ एक डेमो किया था और इसे अपने आंतरिक ग्रुपों में फॉरवर्ड किया था। बख्शी ने कहा कि हमारी टीम का एक सदस्य हरियाणवी भाषा में तिवारी जी के एक वीडियो को लेकर आया था। बाद में हमने इस वीडियो को अंग्रेजी भाषा में बनाने को कहा तो टीम ने उसमें भी अपना डेमो दिया। उन्होंने कहा कि मैं खुद इस वीडियो बनाने वाली कंपनी से नहीं मिला हूं।