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सीमा विवाद सुलझाने के लिए राजनीतिक वार्ता आगे बढ़ाने के लिए डोभाल और वांग यी करेंगे बातचीत

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में सेनाओं के पीछे हटने के बाद भारत और चीन राजनीतिक वार्ता को आगे बढ़ाएंगे। भारत की ओर से नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) और चीन की ओर से वार्ता का नेतृत्व विदेश मंत्री एवं स्टेट काउंसिल वांग यी (Wang Yi) करेंगे। दोनों पड़ोसियों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों विशेष प्रतिनिधि हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि दोनों देशों के बीच इस मसले पर बैक चैनल से बातचीत जारी भी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैक चैनल के जरिए हो रही बातचीत में यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी पक्ष 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एकतरफा तरीके से पूर्वस्थिति में बदलाव नहीं करेगा। यही नहीं सीमा से लगे सभी स्थानों पर पूर्वस्थिति बहाल की जाएगी। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक डोभाल और वांग यी ने सात जून, 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की थी। दोनों विशेष प्रतिनिधि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी संपर्क में थे।

सनद रहे एलएसी पर तनाव के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर राजनयिक स्तर पर बात करते रहे हैं। यह समझा जाता है कि भारतीय पक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह एलएसी से संबंधित सभी बकाया मसलों को सुलझाने के लिए एक सकारात्मक माहौल पर चर्चा के लिए तैयार है। एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि हमने बता दिया है कि चीन द्वारा पैंगोंग त्सो पर यथास्थिति बहाल करके सकारात्मकता पैदा करने के बाद दोनों पक्ष एक साथ बैठ सकते हैं। यही नहीं एलएसी से जुड़े मसले पर मतभेदों को हल करने की दिशा में काम भी कर सकते हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत की ओर से यह स्‍पष्‍ट कर दिया गया है कि चीन की सेना यानी पीएलए बल का इस्तेमाल करता है तो कोई बातचीत नहीं हो सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के अनुसार द्विपक्षीय संबंधों में आगे बढ़ने के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाना चीन पर निर्भर करता है। भारत और चीन के संबंधों में पंगोंग त्सो से सेनाओं की वापसी के बाद गति मिली है। विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत में उम्मीद की जा रही है कि सेनाओं की पूर्ण वापसी के बाद संबंधों को सामान्‍य बनाने में मदद मिलेगी।