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आंध्र-ओडिशा का सीमा विवाद फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, आज होगी सुनवाई

नई दिल्ली। ओडिशा सरकार ने आंध्र प्रदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर अदालत के आदेश का उल्लंघन करने और सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है। ओडिशा ने कहा है कि आंध्र प्रदेश ने उसके कोरापुट जिले में पड़ने वाले कोटिया ग्राम समूह के तीन गांवों में पंचायत चुनाव कराए हैं जो कि सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति कायम रखने के आदेश का उल्लंघन है। ओडिशा ने इसके लिए आंध्र प्रदेश के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।

ओडिशा की ओर से गुरुवार को वरिष्ठ वकील विकास ¨सह और शिबु शंकर मिश्रा ने प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले को शुक्रवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।

ओडिशा सरकार ने याचिका में मांग की है कि उसके कोरापुट जिले के कोटिया पंचायत में पड़ने वाले तीन गांवों में पंचायत चुनाव पर रोक लगाई जाए। साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए, क्योंकि उसने सुप्रीम कोर्ट के दो दिसंबर, 1968 और 30 मार्च, 2006 के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उन आदेशों में दोनों राज्यों को कोटिया ग्राम समूह के सीमा विवाद मामले में यथास्थिति कायम रखने को कहा था। ओडिशा सरकार ने आरोप लगाया है कि तीन ग्राम पंचायतों में से दो पंचायतों में सरपंच और अन्य सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। तीसरे पंचायत में चुनाव होना बाकी है। चुनाव को पूरी तरह गोपनीय रखने के लिए उन तीनों गांवों के ग्राम पंचायत नामांकन केंद्र गांव से 20 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में बनाए गए। ओडिशा का कहना है कि कोटिया ग्राम समूह में कुल 21 गांव आते हैं। आंध्र प्रदेश ने पांच मार्च, 2020 को स्थानीय निकाय चुनाव की कई अधिसूचनाएं निकालीं। इसी में सलूर मंडल में पंचायत चुनाव भी तय तिथि पर कराने की अधिसूचना जारी हुई और इस पंचायत चुनाव में जानबूझकर ओडिशा के तीन गांवों को शामिल कर लिया गया। आंध्र प्रदेश ने ऐसा करते वक्त चालाकी से तीनों गांवों का नाम बदल दिया। गांव गंजायपडार का नाम गंजायबाडरा, फट्टूसेनरी का नाम पत्तूचेनुरू और फागूसेनरी का नाम बदलकर फागुलूसेनरी कर दिया। वास्तव में ये तीनों गांव ओडिशा के कोरापुट जिले के कोटिया ग्राम समूह में आते हैं और वह यहां समय-समय पर पंचायत चुनाव कराता है। इतना ही नहीं इन तीनों गांवों के लोग ओडिशा सरकार की ओर से चलाई जाने वाली सामाजिक योजनाओं का लाभ भी लेते हैं। ओडिशा ने कहा है कि इन गांवों में चुनाव कराना सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति कायम रखने के आदेश का उल्लंघन है।