Logo
ब्रेकिंग
ले*वी के लिए ठेकेदारों को धम*की देने वाले पांडे गिरोह के चार अपरा*धी गिर*फ्तार रामगढ़ पुलिस ने लेवी के लिए हमले की योजना बना रहे मुखलाल गंझु को हथियार के साथ किया गिरफ्तार बालू खनिज के अवैध खनन व परिवहन पर 1 हाईवा वाहन को किया गया जब्त, प्राथमिकी दर्ज। जरुरतमंदों व गरीबो के लिए 31 अगस्त से शुरू होगा "खाना बैंक" इनलैंड पॉवर लिमिटेड ने कई विद्यालय को दिए वॉटर प्यूरीफायर, सेनेटरी पैड व लगाए पौधे Congress प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश का जिला अध्यक्ष जोया परवीन ने किया स्वागत Kids world स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी कलर बेल्ट कराटे ग्रेडेशन के दौरान प्रतिभागियों ने कराटे के तकनीकों का प्रदर्शन किया! सांसद मनीष जायसवाल ने मंडईखुर्द वासियों से किया वादा निभाया Royal mens parlour का बरकाकाना मार्केट कांप्लेक्स में हुआ उद्घाटन!

मेरठ में किसान ने आयोजित की भैंस की तेरहवीं, जुटा पूरा गांव; आत्मा की शांति के लिए हुई प्रार्थना

मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी माने जाने वाले मेरठ में एक किसान ने ऐसा काम किया है, जिसकी चर्चा इन दिनों काफी जोरों पर है। किसान के काम का एक वीडियो भी वायरल होने के बाद तो मामला काफी प्रचलित होता जा रहा है।

मेरठ में किसान सुभाष को उसकी भैंस काफी प्रिय थी। यह भैंस किसान के पास करीब 32 वर्ष से थी। बीते सात वर्ष से उसने दूध भी देना बंद कर दिया था। इसके बाद भी सुभाष ने उसे अपने पास रखा और उसकी खूब सेवा की। इसी बीच भैंस की तबीयत काफी खराब हो गई।

सुभाष ने उसके इलाज में भी काफी पैसा खर्च किया, लेकिन उसको बचा नहीं सके। भैंस की मृत्यु के बाद सुभाष ने तेरहवीं आयोजित की। यह तेरहवीं काफी चर्चा में है। इस तेरहवीं के मौके पर सुभाष ने पूरे गांव के लोगों को दावत दी। तेरहवीं में आने वाले सभी सभी ग्रामीणों ने वहां पर पूरे विधि-विधान से भैंस को श्रद्धांजलि दी। यह अनूठी तेरहवीं पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। सुभाष ने कहा कि वो अपनी भैंस को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही मानते थे। उन्होंने अपनी भैंस के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए हर कर्मकांड किया।जिससे उनकी भैंस की आत्मा को शांति मिले।

मेरठ के मोहम्मद शाकिस्त गांव के किसान सुभाष ने पिछले 32 वर्ष से एक ही भैंस पाली हुई थी। सात वर्ष पहले इस भैंस ने दूध भी देना बंद कर दिया था। बचपन से ही सुभाष ने इस भैंस को पाला था, इसलिए उन्हेंं इससे काफी लगाव था। भैंस के दूध देना बंद करने के बाद भी सष ने न तो उसकी उपेक्षा की और न ही उसको बेचने पर विचार किया। बीते एक महीने से भैंस की तबीयत खराब होने पर सुभाष ने उसके इलाज के लिए काफी धन भी खर्च किया।

इसी दौरान भैंस की मौत के बाद सुभाष के परिवार ने ढोल, नगाड़े के साथ उसे अंतिम विदाई दी। इसके बाद उसकी तेरहवीं के लिए बड़ा आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा टेंट, हलवाई लगाया गया और पूरे गांव को तेरहवीं का प्रसाद खिलाया गया। यहां पर भैंस के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने भैंस की फोटो पर फूल माला चढ़ाकर भैंस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।