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महाराष्ट्र: उद्धव सरकार के लिए उलझनों से भरा रहा यह साल, भाजपा से भी कई मुद्दों पर पड़ा जूझना

महाराष्ट्र की शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पूरे साल कोविड-19 महामारी से जूझने के साथ-साथ विभिन्न मुद्दों पर भाजपा से भी जूझती रही। मुंबई मेट्रो कार शेड परियोजना को आरे से कंजूरमार्ग स्थानांतरित करने के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन और भाजपा आमने-सामने आ गए। हालांकि बंबई उच्च न्यायालय ने इस परियोजना के लिए कंजूरमार्ग में भूमि आवंटित करने पर रोक लगा दी। इस वर्ष शिवसेना के ‘प्रखर हिंदुत्व’ के रुख में भी कुछ नरमी आई और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सभी को साथ लेकर चलने की बात कही।

 भगत सिंह कोश्यारी और ठाकरे के बीच कटुतापूर्ण संवाद
राज्य में महामारी के कारण बंद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने के मुद्दे पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और ठाकरे के बीच बेहद कटुतापूर्ण संवाद हुआ। कोश्यारी ने ठाकरे को लिखे पत्र में तंज कसते हुए पूछा कि धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से इनकार करके क्या वह ‘धर्मनिरपेक्ष’ हो गए हैं। वहीं, इसके जवाब में ठाकरे ने कहा कि उन्हें किसी से भी हिंदुत्व का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए। कोश्यारी के पत्र के बाद राकांपा प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि यह जानकर मुझे हैरानी हो रही है कि राज्यपाल का पत्र मीडिया में जारी कर दिया गया।

शिवसेना और राकांपा ने मिलकर बनाई सरकार 
पत्र में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, वह संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिहाज से उचित नहीं है। पिछले साल चुनाव के बाद शिवसेना और राकांपा ने गठबंधन बनाकर सरकार बनाई जिसकी किसी को संभावना भी नहीं लग रही थी। विधानसभा चुनाव में चौथे नंबर पर रही कांग्रेस ने खुद को अलग-थलग पाया। कांग्रेस के एक नेता के अनुसार पार्टी की प्रदेश इकाई में कुछ लोगों को लगता है कि यदि उसने विधानसभा अध्यक्ष पद की बजाय उपमुख्यमंत्री के पद की मांग की होती तो एमवीए सरकार एक वास्तविक त्रिदलीय सरकार लगती। शिवसेना के एक नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राकांपा नेता अजित पवार की प्रशासनिक सूझबूझ के कारण उनपर बहुत भरोसा करते हैं।

सुशांत सिंह  की मौत के बाद बिगड़े हालात 
पवार पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ तीन दिन की सरकार बनाने के बाद एमवीए में लौटे थे। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का गठन पिछले साल 30 दिसंबर को किया गया था और सरकार को महज तीन महीने ही मिले थे कि महामारी ने राज्य में प्रकोप फैलाना शुरू कर दिया। यह अवधारणा मजबूत हो रही थी कि ठाकरे सरकार महामारी से अच्छी तरह निपट रही है कि तभी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के चलते राज्य सरकार और भाजपा के बीच उस समय तनातनी फिर शुरू हो गई जब राजपूत और सेलेब्रिटी मीडिया मैनेजर दिशा सालियान की मौत के मामले में राज्य के मंत्री एवं ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का नाम उछालने के प्रयास हुए। मुंबई पुलिस ने कहा कि राजपूत की मौत आत्महत्या का मामला है लेकिन सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई कयास और कहानियां सामने आईं।

कंगना रनौत के ट्वीट से मचा बवाल 
राजपूत के परिवार ने अभिनेता की महिला मित्र रिया चक्रवर्ती तथा उनके परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उनपर राजपूत का पैसा हड़पने तथा आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर राज्य सरकार विरोधी अभियान में अभिनेत्री कंगना रनौत सक्रिय हो गईं तथा उन्होंने शिवसेना, उद्धव ठाकरे तथा आदित्य ठाकरे के विरोध में ट्वीट किए। पार्टी की दशहरा रैली में ठाकरे ने रनौत का नाम लिए बगैर कहा कि जो लोग ‘‘न्याय” की मांग कर रहे हैं, वे मुंबई पुलिस को बेकार, मुंबई को ‘‘पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर” बता रहे हैं और कह रहे हैं कि यहां हर ओर नशेड़ी हैं -वे इस तरह की छवि बना रहे हैं।

अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी से शिवसेना पर उठे सवाल 
आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर भाजपा ने कहा कि राज्य सरकार अपने आलोचकों से बदला ले रही है। वहीं, एक अन्य घटना में शिवसेना नीत मुंबई नगर निगम ने बांद्रा में रनौत के कथित अवैध निर्माण को ढहा दिया। इसके साथ ही मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले का खुलासा किया जिसमें रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क का नाम लिया गया और इस चैनल के कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हुई। भाजपा के पूर्व नेता एकनाथ खडसे तथा जयसिंहराव गायकवाड़ इस वर्ष राकांपा में शामिल हुए। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मराठा समुदाय को आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग का दर्जा देने का फैसला किया। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मराठा समुदाय को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के तहत आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी।