Logo
ब्रेकिंग
ले*वी के लिए ठेकेदारों को धम*की देने वाले पांडे गिरोह के चार अपरा*धी गिर*फ्तार रामगढ़ पुलिस ने लेवी के लिए हमले की योजना बना रहे मुखलाल गंझु को हथियार के साथ किया गिरफ्तार बालू खनिज के अवैध खनन व परिवहन पर 1 हाईवा वाहन को किया गया जब्त, प्राथमिकी दर्ज। जरुरतमंदों व गरीबो के लिए 31 अगस्त से शुरू होगा "खाना बैंक" इनलैंड पॉवर लिमिटेड ने कई विद्यालय को दिए वॉटर प्यूरीफायर, सेनेटरी पैड व लगाए पौधे Congress प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश का जिला अध्यक्ष जोया परवीन ने किया स्वागत Kids world स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी कलर बेल्ट कराटे ग्रेडेशन के दौरान प्रतिभागियों ने कराटे के तकनीकों का प्रदर्शन किया! सांसद मनीष जायसवाल ने मंडईखुर्द वासियों से किया वादा निभाया Royal mens parlour का बरकाकाना मार्केट कांप्लेक्स में हुआ उद्घाटन!

निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की अधिकतम फीस तय करे केंद्र, SC ने हफ्ते भर में मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में अधिकतम फीस तय करने के लिए केंद्र से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक सप्ताह के भीतर केंद्र की ओर से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की प्रतिक्रिया की मांग करते हुए निजी अस्पतालों द्वारा COVID-19 मरीजों का इलाज करने के लिए ली जा रही फीस की ऊपरी सीमा निर्धारित करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के निजी अस्पतालों में COVID-19 मरीजों के इलाज के खर्च की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने अविषेक गोयनका द्वारा निजी अस्पतालों द्वारा COVID-19 उपचार की ऊपरी सीमा तय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

अदालत ने कहा कि जनहित याचिका की कॉपी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जानी चाहिए, जो इस मुद्दे पर निर्देश देंगे और एक सप्ताह में जवाब देंगे। इस याचिका में संक्रमित लोगों के लिए भुगतान के आधार पर इस तरह की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए एक विकल्प के साथ प्राइवेट क्वारंटाइन सुविधाओं और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है और कहा गया है कि वर्तमान में इस तरह का विकल्प मरीजों को नहीं दिया जाता है।

यह भी कहा गया कि सरकार को ऐसी सुविधाओं के समान मानकों के लिए इलाज की सांकेतिक दरों को ठीक करने के लिए अस्पतालों से कहना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान किया जाना चाहिए और सभी बीमित रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा दी जानी चाहिए।