शिवसेना ने सिख विरोधी दंगो की दिलाई याद, कहा- दिल्ली हिंसा डरावनी फिल्म की तरह

शिवसेना ने दिल्ली की इस भयावह स्थिति को एक डरावनी फिल्म करार देते हुए कहा कि इसने 1984 सिख विरोधी दंगों के जख्मों को एक बार फिर ताजा कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब ‘‘प्रेम का संदेश” देने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे तब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था और इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी की कभी इतनी बदनाम नहीं हुई थी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय ने अफसोस जताया कि ऐसे समय दिल्ली में ट्रंप का स्वागत किया गया जब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था। हिंसा सीधे तौर पर यह संदेश दे सकती है कि केन्द्र सरकार दिल्ली में कानूव एवं व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही।

सामना में लिखा कि ट्रंप साहेब प्रेम के संदेश के साथ दिल्ली आए थे, लेकिन उनके सामने कैसी तस्वीर पेश की गई। अहमदाबाद में ‘नमस्ते’ और दिल्ली में हिंसा। दिल्ली की ऐसी बदनामी पहले कभी नहीं हुई। गौरतलब है कि दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले समूहों के बीच संघर्ष ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया। उपद्रवियों ने कई घरों, दुकानों तथा वाहनों में आग लगा दी और एक-दूसरे पर पथराव किया। इन घटनाओं में बुधवार तक कम से कम 20 लोगों की जान चली गई और करीब 200 लोग घायल हो गए। ट्रंप यात्रा के दौरान हिंसा की खबरों को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि गृह मंत्री ने आरोप लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में ट्रंप की यात्रा के दौरान हिंसा की साजिश रची गई। गृह मंत्री को सीएए को लेकर हुई हिंसा के पीछे साजिश का ना पता होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। दंगों को उस साहस से नियंत्रित करने में कोई दिक्कत नहीं थी, जैसा कि धारा 370 और 35ए खत्म किए जाने के समय किया गया।

शिवसेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा वार्ताकार नियुक्त किए जाने के बावजूद शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ। ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ भाजपा नेताओं के धमकी और चेतावनी भरे लहजे के बाद हिंसा भड़की। तो, क्या कोई चाहता था कि शांतिपूर्ण आंदोलन (शाहीन बाग में) दंगों के वर्तमान स्वरूप में बदल जाए? वे कम से कम ट्रंप के वापस लौटने तक रुक सकते थे। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के कुछ दिन बाद ही दंगे होने पर भी सवाल उठाए। शिवसेना ने कहा कि यह संदिग्ध है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के कुछ दिन बाद ही हिंसा हो गई। भाजपा हार गई और अब दिल्ली की यह हालत है। बता दें कि शिवसेना और भाजपा लंबे समय तक सहयोगी दल रहे चुके हैं। लेकिन अब महाराष्ट्र में शिवसेना का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन हैं।