मौनी बाबा के पार्थिव शरीर के साथ निकली शोभा यात्रा, दर्शन को उमड़े भक्त
सोनारी स्थित मौनी बाबा आश्रम के संस्थापक श्रीश्री गंगा गिरी उर्फ मौनी बाबा बुधवार सुबह साढ़े दस बजे ब्रह्मलीन हो गए थे।
जमशेदपुर। जमशेदपुर के सोनारी के मौनी बाबा बुधवार को अपना शरीर त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए थे। गुरुवार सुबह बाबा के पार्थिव शरीर को स्नान करा कर भक्तों को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।
इसके बाद सुबह साढ़े 9 बजे खुले ट्रक में बाबा की शोभायात्रा निकाली गयी है जो सोनारी का भ्रमण कर वापस दोमुहानी रोड स्थित मंदिर परिसर पहुंची। यहां जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत विद्या नंद सरस्वती की देखरेख में बाबा को समाधि दी गई। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।
की थी मौनी आश्रम की स्थापना
सोनारी स्थित मौनी बाबा आश्रम के संस्थापक श्रीश्री गंगा गिरी उर्फ मौनी बाबा बुधवार सुबह साढ़े दस बजे ब्रह्मलीन हो गए थे। वे 94 वर्ष के थे। वर्ष 1965 में उन्होंने दोमुहानी रोड पर मौनी आश्रम की स्थापना की थी। उनके ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर जूना अखाड़े के इंदिरानंद सरस्वती सहित बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के सदस्य अंतिम दर्शन को पहुंचे थे। अंतिम दर्शन करने के लिए जसवंत सिंह, विनोद कुमार चतुर्वेदी, सुशील कुमार त्रिपाठी, राजू यादव, गुडडू सिंह, रंजीत, अनिल मल्होत्रा, राजू मल्होत्रा, रमाकांत पांडेय व बालेश्वर सहित बड़ी संख्या श्रद्धालु पहुंचे।
हरिद्वार कुंभ में परिजनों से बिछड़ गए थे बाबा
हरिद्वार कुंभ में बाबा परिजनों से बिछड़ गए थे। तब उनकी उम्र तीन वर्ष थी। बिछुड़ने के बाद उसके बाद वे गंगोत्री आश्रम के साधु-संतों के सानिध्य में रहे। बाबा 1968 में जमशेदपुर आए और सोनारी की कौशल्या देवी से दान में मिली जमीन पर 1970 में मंदिर की स्थापना की। मंदिर परिसर में ही बाबा 1971 से तपस्या करने लगे जिसका समापन 1981 में दस साल बाद हुआ। तब एकादश महारूद्र यज्ञ और विराट संत सम्मेलन हुआ था जिसमें देशभर के साधु-संत जुटे थे।