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अपनों से ही दो-दो हाथ करने में लगे कांग्रेस नेता

कांग्रेस में आपसी कलह के दो कारण हैं। पहला कारण यह है कि लोकसभा चुनावों में हार के बाद इसकी ईमानदारी से समीक्षा नहीं हुई।

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी जहां हारी है वहां तो उसके नेता पंजा लड़ा ही रहे हैं लेकिन जिन राज्यों में पार्टी जीती है और सरकार चला रही है वहां भी पार्टी के नेता आपस में ही दो-दो हाथ करने में लगे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के अंदर सिर फुटौव्वल खत्म होने का नाम नहीं ले रही।  इस सब के बीच चिंताएं बढ़ी हैं और पार्टी के भविष्य के लिए कोई रोड मैप नजर नहीं आता। ऐसा लगातार दूसरी बार हुआ जब कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही और उसका वोट शेयर भी गिरकर 4 प्रतिशत पर पहुंच गया। दिल्ली चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

कांग्रेस के खुद के बदतर प्रदर्शन के बाद भी भाजपा की हार पर खुशी मनाने पर दिल्ली महिला कांग्रेस प्रमुख शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को लताड़ लगाई। वहीं दिल्ली के पूर्व प्रभारी पी.सी. चाको भी हार के लिए शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं जिसको लेकर भी काफी विवाद हुआ। वहीं मिङ्क्षलद देवड़ा ने जब अरविंद केजरीवाल की तारीफ  कर दी तो अजय माकन ने देवड़ा को नसीहत दे डाली कि कांग्रेस छोडऩा चाहते हो तो छोड़ दो। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद शुरू हुई रार अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज एक बार फिर आमने-सामने आ गए। मसला ब्रिटेन की सांसद डेब्बी अब्राहम को भारत से वापस भेजे जाने का था। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया तो शशि थरूर ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए इसका विरोध किया। उधर, मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया आमने-सामने हैं।

आपसी कलह के कारण
कांग्रेस में आपसी कलह के दो कारण हैं। पहला कारण यह है कि लोकसभा चुनावों में हार के बाद इसकी ईमानदारी से समीक्षा नहीं हुई। दूसरा कारण है टॉप लीडरशिप का कमजोर होना। सोनिया गांधी का पार्टी में काफी सम्मान है लेकिन वह केवल अंतरिम अध्यक्ष बनने के लिए ही राजी हुईं। वहीं राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के कारण स्थिति और खराब हुई है।