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RSS Sarkaryawah: क्या होती है संघ में सरकार्यवाह की भूमिका, कैसे होता है चुनाव- जानें सबकुछ

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतिय प्रतिनिधिसभा ने दत्तात्रेय होसबले को संघ के नए सरकार्यवाह के रूप में चुन लिया है। दत्तात्रेय होसबले ने पिछले लगभग 12 सोलों से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे सुरेश भैय्याजी जोशी की जगह ली है। वह 2009 से संघ के सह सरकार्यवाह थे। आरएसएस के रोजाना के कार्यों की जिम्मेदारी सरकार्यवाह की होती है। बता दें कि यह इकलौता पद है जिसपर संघ में चुनाव होता है।

संघ में सबसे महत्वपूर्ण पद सरसंघचालक का होता है। वर्तमान में मोहन भागवत आरएसएस के सरसंघचालक हैं। सरसंघचालक द्वारा अपना उत्तराधिकारी स्वयं चुना जाता है, जबकि संघ में हर तीन साल पर सरकार्यवाह के पद का चुनाव होता है। यह संगठन में कार्यकारी पद होता है, जबकि सरसंघचालक का पद मार्गदर्शक का होता है।

कैसे होता है सरकार्यवाह का चुनाव

– एबीपीएस की बैठक हर वर्ष मार्च के दूसरे और तीसरे हफ्ते में होती है।

– प्रतिनिधि सभा की बैठक में अंतिम दिन सरकार्यवाह का चुनाव होता है।

– चुनाव अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) करती है।

– इस प्रतिनिधि सभा के 1400 सदस्य होते हैं।

– सरकार्यवाह से पहले जिला संघचालक, महानगर संघचालक, विभाग संघचालक और प्रांत संघचालक का चुनाव किया जाता है।

– इसके बाद प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है।

– केंद्रीय प्रतिनिधियों के इस चुनाव में केंद्रीय प्रतिनिधि ही वोटर होते हैं, कोई भी प्रचारक वोटर नहीं होता।

– नए सरकार्यवाह का नाम चुनाव अधिकारी बताते हैं और सभी लोग ॐ उच्चारण के साथ हाथ उठाकर नए सरकार्यवाह का चुनाव सम्पन्न कराते हैं।

दत्तात्रेय होसबले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। बेंगलोर यूनिवर्सिटी से उन्होंने इंग्लिश में एमए किया है। दत्तात्रेय होसबले एबीवीपी कर्नाटक के प्रदेश संगठन मंत्री, एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे हैं। 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाये गए थे और 2009 में उन्हें सह सरकार्यवाह बनाया गया।