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पंजाब में किसान केंद्र सरकार के सीधे पेमेंट के फैसले से खुश, बेचैन आढ़ती बनाएंगे नई रणनीति

चंडीगढ़। पंजाब के किसान कृषि कानूनों खिलाफ आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के एक फैसले से खुश हैं। केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद का भुगतान सीधे किसानों के खाते में आनलाइन पेमेंट करने के निर्देश दिए हैं। इससे राज्‍य के किसान खुश हैं। दरअसल पंजाब के किसान लंबे समय से फसल खरीद की सीधी अदायगी की मांग कर रहे थे। लेकिन, इस निर्देश से आढ़तियों में बेचैनी है और वे चाहते हैं कि किसान संगठन इसका विराेध करें।

बताया जाता है कि पंजाब में भारतीय किसान यूनियन राजेवाल को छोड़कर ज्यादातर किसान इससे खुश हैं, लेकिन केंद्र सरकार के इन निर्देश के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं। इस बारे में आढ़ती संगठनों ने संयुक्त किसान माेर्चा से भी बात की है। बताते हैं कि बुधवार को दिल्ली में आढ़ती एसोसिएशन की किसान संगठनों के साथ बात होगी।

मुख्यमंत्री ने आढ़ती एसोसिएशनों के साथ 22 को रखी मीटिंग

आढ़ती संगठन लगातार किसानों से बात करके उनके पक्ष में बयान देने को कह रहे हैं लेकिन अभी तक बलबीर सिंह राजेवाल के अलावा किसी ने भी आढ़तियों के पक्ष में आवाज नहीं उठाई है। दरअसल ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं है क्योंकि लंबे समय से किसान ये मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनकी फसल का भुगतान सीधा किया जाए न कि आढ़तियों के माध्यम से।

उधर, किसानों को सीधी अदायगी को लेकर सरकार ने भी अभी कोई मन नहीं बनाया है। पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री भारत भूषण आशू ने कृषि और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इसमें किसानों को सीधी अदायगी करने, भू रिकार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने आदि पर चर्चा की गई। आढ़तियों ने यह मामला केंद्र के पास उठाने और किसानों को अदायगी उनके मार्फत करने के लिए दबाव बनाया हुआ है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी आढ़ती एसोसिएशंस को मीटिंग के लिए 22 मार्च का समय दिया है।

दरअसल केंद्र सरकार एफसीआई के खर्चों को कम करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। उसमें आढ़तियों को दी जाने वाली 2.5 फीसदी आढ़त और सरकार को दिया जाने वाला तीन फीसदी देहाती विकास फंड पर अंकुश लगाना भी शामिल है। आढ़तियों को यह भी लग रहा है कि केंद्र सरकार उन्हें धीरे-धीरे फसल खरीद सिस्टम से बाहर करना चाहती है। साथ ही आढ़तियों ने एक अप्रैल से हड़ताल पर जाने का ऐलान भी किया है।

आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रविंदर सिंह चीमा ने बताया कि किसान अपनी फसल की पेमेंट तो पहले ही आढ़तियों से ले लेते हैं। जब उनकी फसल की पूरी कीमत आढ़तियों के पास आती है तो आढ़ती अपनी पेमेंट काटकर शेष राशि उन्हें लौटा देते हैं। इसके अलावा मंडियों में फसल की सफाई, खरीदकर उसे बोरियों में भरने और लोडिंग-अनलोडिंग का काम वही करते हैं

आढ़तियों को यह है आशंका

किसानों को सीदी अदायगी करने से फिलहाल तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन आढ़तियों को आशंका है कि ऐसा करके सरकार आढ़तियों को खरीद सिस्टम से बाहर कर देगी। आढ़तियों का कहना है कि अगर उन्‍हें बाहर कर दिया जाता है तो मंडियों में खरीद के बड़े अभियान को चला पाना सरकारी एजेंसियों के बस में नहीं होगा। एफसीआई समेत ज्यादातर एजेंसियों के पास स्टाफ की पहले से ही कमी है। दूसरा, जब मंडियों में अनाज आता है तो उसे खरीदने का समय बहुत सीमित होता इसलिए मंडियों में देर रात तक भी काम चलता है। सरकारी कर्मी  नौ से पांच बजे तक काम करते हैं और वे उतनी ही शिद्दत दिखाते हुए मंडी में पहुंची फसल को खरीद पाएंगे, इसको लेकर संदेह है।

मंडियों में फसल खरीद से लोडिंग तक ऐसे होता है काम

किसान जब अपनी फसल मंडी में लाता है तो सीधा आढ़ती के पास जाता है। आढ़ती उसकी फसल की सफाई करवाते हैं। अगर फसल में नमी ज्यादा है तो पंखे से उसे सुखाया जाता है। सुबह या शाम को होने वाली बोली में खरीद एजेंसी के इंस्पेक्टर फसल को खरीदते हैं तो फसल को बोरियों में भरवाने और उसको ट्रकों में लोड गोदामों में भेजने का काम आढ़ती करते हैं। अगर आढ़तियों को बाहर कर दिया जाता है तो मंडियों में खरीद के बड़े काम को चला पाना सरकारी एजेंसियों के बस में नहीं होगा। एफसीआइ समेत ज्यादातर एजेंसियों के पास स्टाफ की पहले ही कमी है।