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नई दिल्ली। देश में रहने के लिहाज से बेंगलुरु और शिमला शीर्ष पायदान पर पहुंच गए हैं तो श्रीनगर और मुजफ्फरपुर सबसे निचले पायदान पर। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने गुरुवार को ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स-2020’ की सूची जारी की। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के वर्ग में बेंगलुरु पिछले साल अव्वल रहे पुणे से आगे निकलकर पहले स्थान पर पहुंच गया है। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में शिमला पहले और भुवनेश्वर दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा म्युनिसिपैलिटीज वर्ग में बड़े शहरों (10 लाख की आबादी) की सूची में इंदौर को पहला स्थान तथा सूरत और भोपाल को दूसरा व तीसरा स्थान मिला है। इसमें पुणे, अहमदाबाद, रायपुर, ग्रेटर मुंबई, विशाखापत्तनम और वडोदरा ने टॉप टेन की सूची में जगह बनाई है।
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10 लाख से कम आबादी वाली श्रेणी में नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल ने बाजी मारी है, जबकि तिरुपति और गांधीनगर का दूसरा व तीसरा स्थान है। इसके अलावा करनाल, सेलम, तिरुपुर, बिलासपुर, उदयपुर, झांसी और तिरुनेल्वेली ने सूची में जगह बनाई है। इंडेक्स रिपोर्ट केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने गुरुवार को जारी की। शहरों का यह आकलन पिछले साल लॉकडाउन से पहले किया गया था। आंकड़ा मिलने में आई मुश्किलों के चलते सूची में बंगाल के शहरों को शामिल नहीं किया जा सका है।
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टॉप टेन शहरों की सूची में दिल्ली को नहीं मिली जगह
इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े शहरों की श्रेणी में टॉप टेन की सूची में अहमदाबाद, चेन्नई, सूरत, नवी मुंबई, कोयंबटूर, वडोदरा, इंदौर व ग्रेटर मुंबई ने जगह बनाई है। टॉप टेन की सूची में दिल्ली स्थान नहीं बना पाया। दिल्ली को 13वां स्थान और एनसीआर के गाजियाबाद को 30वां और फरीदाबाद को 40वां स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश के मेरठ को 36वां स्थान मिला है। ये शहर मानक पर खरे नहीं पाए गए हैं। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों की अलग जारी टॉप टेन सूची में सिल्वासा, काकीनाड़ा, सलेम, वेल्लूर, गांधीनगर, गुरुग्राम, देवांगिर और तिरुचिरापल्ली का नाम है। इस वर्ग के निचले पायदान के 10 शहरों की सूची में बिहार का मुजफ्फरपुर अंतिम पायदान 62वें और उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ 60वें पायदान पर है।
इस आधार पर किया गया आकलन
शहरों का इंडेक्स बनाने में सर्विसेज, फाइनेंस, पॉलिसी, टेक्नोलॉजी और गवर्नेस को मूल आधार बनाया गया है। इसके लिए एक सौ इंडिकेडर शामिल किया गया। शहरों में सुविधाओं के आकलन में वहां के नागरिकों के विचार को भी शामिल किया गया है।
बढ़ते शहरीकरण से चरमराने लगा है शहरों का ढांचा
बढ़ते शहरीकरण से देश के शहरों का ढांचा चरमराने लगा है। अगले एक दशक में देश में शहरी आबादी मौजूदा 31 फीसद से बढ़कर 50 फीसद तक होने का अनुमान है। शहरीकरण की तेज रफ्तार के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने पर जोर देना होगा। इस दिशा में आवास, जल प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, परिवहन, बिजली, डिजिटल कनेक्टिविटी, रोजी रोजगार के साधन और अन्य सेवाओं के बंदोबस्त की योजनाएं मूर्त रूप लेने लगी हैं।