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उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) जैसी केंद्रीय एंजेसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने में विलंब पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर वह (सरकार) अपने पैर पीछे क्यों खींच रही है। न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसे ऐसा लगा रहा है कि सरकार अपने पैर पीछे खींच रही है।
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न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि सीसीटीवी लगाने का निर्णय नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और किसी भी हाल में इन अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जा सकता। न्यायालय की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब केंद्र सरकार की ओर से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंड पीठ से सुनवाई टालने का आग्रह किया। न्यायालय ने कहा कि वह सुनवाई टालने के बहाने को मंजूर नहीं करेगा। न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, हमें ऐसा लगता है कि आप जानबूझकर देरी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि न्यायालय ने गत वर्ष दो दिसम्बर को हिरासत में प्रताडऩा के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सभी पुलिस स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर उसे सूचित करे कि केंद्रीय एजेंसियों के लिए कितना फंड आवंटित किया गया और सीसीटीवी कब लगाए जाएंगे।
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