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पुलिस के सामने शांतनु ने उगले कई राज, बताया कैसे रची गई थी साजिश

नई दिल्ली। टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शनिवार को आरोपित शांतनु मुलुक से 115 सवाल पूछे। इस दौरान उसने 26 जनवरी से पहले निकिता जैकब, दिशा रवि व खालिस्तानी संगठन पोएटिस जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य मो धालीवाल समेत 70 लोगों के साथ जूम मी¨टग में शामिल होने की बात कुबूली। शांतनु ने बताया कि मीटिंग का शीर्षक ‘आस्क इंडिया व्हाई’ रखा गया था। उसने बताया कि 26 जनवरी को जूम मीटिंग में शामिल सदस्यों समेत सैकड़ों लोगों को आपत्तिजनक ट्वीट करने के लिए पहले से तैयार कंटेंट मुहैया कराया गया, साथ ही सभी को बताया गया था कि किस तरह से ट्रैक्टर रैली शुरू होने से पहले ही ट्वीट करना शुरू करना है और ट्वीट को टाप ट्रेंड में लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

योजना के मुताबिक देश-विदेश में बैठे साजिशकर्ताओं ने भ्रामक और भड़काऊ ट्वीट किए थे। इसी योजना के मुताबिक यह अफवाह भी फैलाई गई कि पुलिस कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों को गोली लगी है।

दिशा व निकिता के कहने पर टूलकिट के लिए वाटसएप ग्रुप बनाया था

शांतनु ने बताया कि उसने दिशा व निकिता के कहने पर टूलकिट के लिए वाटसएप ग्रुप बनाया था। ग्रेटा थनबर्ग की तरफ से किए गए ट्वीट से साजिश का भंडाफोड़ होने के बाद, जब ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट कर दिया था, तब शांतनु व दिशा ने भी पुलिस से बचने के लिए वाट्सएप ग्रुप डिलीट कर दिया था। साइबर सेल के नोटिस पर शांतनु व निकिता जैकब एक सप्ताह पहले पूछताछ में शामिल होने दिल्ली आए थे। दोनों अभी दिल्ली में ही ठहरे हुए हैं। जरूरत पड़ने पर साइबर सेल कभी भी उन्हें द्वारका स्थित अपने मुख्यालय में बुलाकर पूछताछ कर रही है। दिशा रवि को गिरफ्तार करने के बाद उससे लंबी पूछताछ की गई। हालांकि, उसे जमानत मिल चुकी है, लेकिन निकिता और शांतनु को नियमित जमानत नहीं मिली है।