![](https://newslens.net/wp-content/uploads/2023/10/03.png)
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का एलान होने के बाद वहां की राजनीति में उबाल आ गया है। राज्य में यूं भी बीते एक माह से अधिक समय से राजनीतिक सरगर्मियों में तेजी आ चुकी है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस, भाजपा और वाम दलों में मुकाबला है। लेकिन जानकारों की राय में इस चुनाव में सीधा मुकाबला केवल भाजपा और टीएमसी के ही बीच में है। लेकिन जानकार ये भी मानते हैं कि इस चुनाव में एक तीसरे फेक्टर के आने से ये चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। ये तीसरा फेक्टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम है।
![](https://newslens.net/wp-content/uploads/2023/10/05.png)
आगे बढ़ने से पहले आपको याद दिला दे कि ओवैसी की पार्टी ने पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थीं। ओवैसी के लिए ये चुनाव काफी बेहतर साबित हुआ। इसके बाद हैदराबाद की सियासत से दूर पार्टी को अपनी एक जगह बनाने का भी मौका मिला है। इससे ही उत्साहित ओवैसी ने उसी वक्त पश्चिम बंगाल में अपनी किस्मत आजमाने का एलान कर दिया था। अब जबकि मतदान की तारिख तय हो चुकी है तो ओवैसी फेक्टर की हर तरफ चर्चा हो रही है।
![](https://newslens.net/wp-content/uploads/2023/10/pitambara.jpg)
जानकार इस फेक्टर को यहां की राजनीति का एक दिलचस्प फेक्टर मानकर चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह का कहना है कि ओवैसी फेक्टर को इस चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक में होने वाले बिखराव को लेकर भी अहम माना जा रहा है।
दरअसल, प्रदीप सिंह का कहना है कि यहां पर टीएमसी का मुस्लिम वोट बैंक पर काफी असर है। इसके अलावा इस वोटबैंक पर कुछ असर दूसरी पार्टियों का भी है। अब ओवैसी के इस चुनाव में आने के बाद इस वोटबैंक में सेंध लगना तय है। उनके मुताबिक इस वोटबैंक में सेंध लगने का नुकसान जहां सबसे अधिक तृणमूल कांग्रेस को उठाना पड़ेगा वहीं इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को हो सकता है। भाजपा यहां पर टीएमसी की तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ आवाज बनकर सामने आई है।
आपको बता दें कि बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने जिन सीटों पर जीत हासिल की वो सीटें पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों के समीप हैं। यही वजह है कि जानकार इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि ओवैसी फेक्टर इन इलाकों में कुछ जगह बना सकता है। बिहार की सीमा से लगे कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी फेक्टर का असर हो सकता है। लेकिन इस फेक्टर की खास बात ये है कि इसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। लिहाजा यहां पर यदि इस पार्टी के हाथ कुछ भी लगता है तो वो इसके लिए फायदा ही होगा।
जानकार जहां इस चुनाव को भाजपा और टीएमसी के बीच होता मान रहे हैं वहीं एआईएमआईएम का मानना है कि इस चुनाव में उनका सीधा मुकाबला टीएमसी से है। आपको बता दें कि ओवैसी को यहां पर पिछले दिनों चुनावी रैली की इजाजत नहीं दी गई थी। इसको लेकर उन्होंने कड़ी नाराजगी भी जताई थी।