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गैर-जमानती वारंट के बावजूद नहीं पकड़े जाते कुछ सुविधा प्राप्त लोग : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में एक कारोबारी के अपहरण और जेल में उस पर हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व सांसद अतीक अहमद के पुत्र मुहम्मद उमर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में कुछ ऐसे सुविधा प्राप्त लोग भी हैं जिन्हें गैर जमानती वारंट के बावजूद पुलिस पकड़ने में असमर्थ है।

जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने उमर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के सात दिसंबर, 2020 के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने भी उसे अग्रिम जमानत प्रदान करने से इन्कार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा, ऐसा लगता है कि आरोपित के खिलाफ पुलिस (सीबीआइ) कार्रवाई नहीं कर रही है। पुलिस उमर के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को क्रियान्वित करने में सक्षम नहीं है।

बता दें कि कारोबारी मोहित जायसवाल ने 28 दिसंबर, 2018 को एक एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनका लखनऊ से अपहरण किया गया था और उसके बाद उन्हें जेल ले जाया गया था। वहां जेल में बंद अतीक अहमद, उनके पुत्र उमर और उनके अन्य सहयोगियों ने उन पर हमला किया था। इसके बाद मोहित को अपना कारोबार उनके नाम स्थानांतरित करने के लिए मजबूत किया गया था।