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भारत ने जमीन से हवा में मार करने वाली स्वदेशी मिसाइल वीएल-एसआरएसएएम का किया सफल परीक्षण

बालेश्वर (ओडिशा)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के विज्ञानियों ने सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे चांदीपुर के अंतरिम परीक्षण रेंज (आइटीआर) के एलसी-3 से पहली बार स्वदेशी वर्टिकली लांच शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया।

तीन घंटे के अंदर दो बार सफलतापूर्वक छोड़ा गया 

मात्र तीन घंटे बाद शाम 4.42 बजे एलसी-3 से ही दूसरा सफल परीक्षण किया गया। इस स्वदेशी मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत की वायु प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिली है। इस मिसाइल को नौसेना और वायुसेना को मजबूती प्रदान करने की दिशा में मजबूत कड़ी माना जा रहा है।

राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को दी सफल परीक्षण पर बधाई 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को सफल परीक्षण पर बधाई दी है। यह जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।

मिसाइल की मारक क्षमता 40 किमी, ड्रोन, मिसाइल या लड़ाकू विमान को मारने में सक्षम

इसकी मारक क्षमता करीब 40 किलोमीटर तक है। यह चारों दिशाओं से 360 डिग्री के लक्ष्य से किसी भी दिशा से आने वाले ड्रोन, मिसाइल या लड़ाकू विमान को मार गिराने में सक्षम है। यह किसी भी छोटे स्थान को सौ फीसद सुरक्षा (प्वाइंट डिफेंस सिसटम) देने में सक्षम होगा।

डीआरडीओ मेक इन इंडिया के तहत नई मिसाइलें बना रहा है और परीक्षण कर रहा

परीक्षण के समय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और विज्ञानियों का दल मौजूद था। मालूम हो कि डीआरडीओ मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी ज्ञान कौशल से नई मिसाइलें बना रहा है और परीक्षण कर रहा है। मिसाइल तकनीक के लिए भारत अब किसी देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है।

तीन किलोमीटर के दायरे के सभी गांवों को कराया गया था खाली

परीक्षण को देखते हुए सोमवार सुबह पांच बजे से ही तीन किलोमीटर के दायरे के सभी गांवों के 800 परिवारों के दस हजार लोगों को तीन अस्थायी शिविरों में भेज दिया गया था। इसके लिए जिला प्रशासन ने एक दिन पहले ही गांवों में माइक से प्रचार कराया था। करीब 30 यात्री वाहनों से इन लोगों को अस्थायी शिविरों में पहुंचाया गया था। परीक्षण के बाद शाम को सभी लोग घर पहुंचा दिए गए।