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शबनम के बेटे की PM मोदी और राष्ट्रपति से भावुक अपील-मेरी मां को मत दो फांसी, मैं अकेला रह जाऊंगा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में इश्क के जुनून में परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले फांसी की सजायाफ्ता शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर देने से बावनखेड़ी का मनहूस फार्म हाउस फिर एक बार चर्चाओं में है जहां परिवार के मुखिया समेत एक लाईन में सात लोगों के नरसंहार की याद दिलाती सात कब्रें बनी हुई हैं। अपराधी शबनम को मथुरा जिला जेल में फांसी पर लटकाया जा सकता है। मां को फांसी पर लटकाए जाने की खबर के बाद शबनम के बेटे ताज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भावुक अपील की है।

‘मैं अकेला रह जाऊंगा’
सजायाफ्ता शबनम के बेटे ने पीएम और राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि उसकी मां के गुनाहों को माफ कर दिया जाए। ताज ने भावुक अपील करते हुए कहा कि अगर मां को फांसी दे दी गई तो वह अकेला रह जाएगा। ताज ने कहा कि उसकी बड़ी मम्मी उसे बहुत प्यार करती है वो जब जेल में उससे मिलने गया तो उन्होंने उसे गले लगा लिया। बता दें कि ताज छठीं क्लास में पढ़ता है और उसे एक दंपत्ति ने गोद ले रखा है। ताज उस दंपत्ति छोटी मम्मी और छोटे पापा कहकर बुलाता है। जबकि शबनम को बड़ी मम्मी कहता है। हाल ही में जब ताज शबनम से मिलने गया था तो उसने बेटे से कहा था कि वो खूब पढ़ाई करे और एक अच्छा इंसान बने। ताज को गले लगाकर शबनम काफी देर तक रोती रही थी। शबनम ने ताज से कहा था कि वो उसे कभी याद न करे क्योंकि वो अच्छी मम्मी नहीं है।

परिवार के 7 सदस्यों की हत्या की
अप्रैल, 2008 में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर शबनम ने अपने ही सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। शबनम के परिवार में एकमात्र उसके चाचा सत्तार सैफी और चाची फातिमा ही जिंदा बचे थे। अमरोहा के हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी में साल 2008 की 14-15 अप्रैल की दरमियानी रात का मंजर कोई नहीं भूला है। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षामित्र शबनम ने रात को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। मासूम भतीजे अर्श का गला घोंट दिया था। घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और पुलिस महानिरीक्षक गुरुबचन सिंह ने मौके पर पहुंच कर घटना से आहत जनमानस को हत्याकांड के शीघ्र खुलासे का आश्वासन दिया था। शबनम-सलीम के केस में करीब 100 तारीखों तक जिरह चली। इसमें 27 महीने लगे। जिसके बाद,15 जुलाई 2010 को, जिला न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने फैसला सुनाया कि शबनम और सलीम को मृत्यु तक फांसी दी जानी चाहिए। फैसले के दिन, न्यायाधीश ने 29 गवाहों के बयानों को सुना और 14 जुलाई, 2010 को शबनम और सलीम दोनों को दोषी ठहराया। अगले दिन,15 जुलाई, 2010 को, जिला न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने दोनों को केवल 29 सेकंड में मौत की सजा सुना दी। इस मामले में 29 लोगों से 649 प्रश्न पूछे गए और निर्णय 160 पृष्ठों में लिखा गया था।

भारत के इताहिस में ऐसा पहली बार होगा
शबनम की फांसी की तारीख अभी मुकरर्र नहीं की गई है। शबनम को फांसी होती है तो यह आजाद भारत का पहला मामला होगा। बताया जा रहा है कि आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार ऐसा होने जो रहा है, जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। मथुरा जेल में स्थित उत्तर प्रदेश के इकलौते महिला फांसी घर में शबनम को मौत की सजा दी जाएगी। शबनम पिछले कुछ समय से फिलहाल रामपुर की जेल में बंद है, जबकि सलीम आगरा जेल में कैद है। मथुरा जेल में 150 साल पहले एक महिला फांसी घर बनाया गया था, लेकिन आजादी के बाद से अभी तक वहां किसी महिला को फांसी नहीं दी गई है। फांसी देने की तारीख अभी तय नहीं है। अगर अंतिम समय में कोई अड़चन नहीं आई तो डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी हालांकि सलीम को फांसी कहां पर दी जाएगी यह अभी तय नहीं है।