शरद पवार बोले, पीएम, राजनाथ और गडकरी करें आंदोलनकारी किसानों से बात, कृषि सुधार कानूनों पर 2003 से हो रही चर्चा
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मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ उत्पन्न गतिरोध तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों-राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी को उनसे वार्ता करनी चाहिए। बारामती में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों को लागू करने को लेकर उपजे मतभेदों को विचार-विमर्श के जरिये सुलझाया जा सकता है।
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राज्य सरकारों से राय लेकर बने कानून
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संप्रग सरकार में कृषि मंत्री रहे पवार ने कहा कि पीयूष गोयल मुंबई के रहने वाले हैं और मुझे नहीं पता कि उन्हें खेती के बारे में कितनी जानकारी है। उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए गोयल और कुछ अन्य मंत्री किसान संगठनों के साथ बातचीत कर रहे हैं। पवार ने कहा कि कृषि राज्यों का मामला है और राज्य सरकारों से परामर्श के बाद ही कानून बनाया जाना चाहिए था।
कानूनों पर 2003 से हो रही चर्चा
राकांपा नेता के अनुसार, कृषि सुधार कानूनों पर 2003 से ही चर्चा हो रही थी, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में राज्य सरकारों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की गई, क्योंकि कृषि राज्यों का विषय है। इस मामले का अध्ययन करने और कानून का मसौदा तैयार करने के लिए नौ राज्यों के कृषि मंत्रियों की एक समिति भी बनाई गई थी। मंत्रियों की समिति ने मसौदा तैयार भी कर लिया और राज्यों से इस पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा गया लेकिन मौजूदा सरकार ने अपना कानून बनाकर बिना चर्चा के इसे संसद से पारित करा लिया
पीएम बोले- राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को देश देख रहा
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को हल्दिया में कहा कि किसान के नाम पर कौन अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है और कौन किसानों के जीवन से एक-एक परेशानी दूर करने के लिए काम कर रहा है देश इसे पिछले छह वर्षों से देख रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भाषण पर सुबह 10.15 बजे अपना जवाब दे सकते हैं। इसे देखते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने सभी सदस्यों को व्हिप जारी करके सोमवार को राज्यसभा के स्थगित होने तक वहां मौजूद रहने को कहा है।