Logo
ब्रेकिंग
युवा आजसू ने हेमंत सरकार पर उठाए सवाल, कहा मंईयां सम्मान राशि वितरण के लिए बच्चों की पढ़ाई करा दी बा... अमित महतो ने समर्थकों से विचार के उपरांत कांग्रेस जिला महासचिव पद से दिया इस्तीफा, जेबीकेएसएस में जा... छावनी परिषद फुटबॉल मैदान में हुआ जन शिकायत समाधान कार्यक्रम, पुलिस महानिरीक्षक अभियान झारखंड रांची न... ले*वी के लिए ठेकेदारों को धम*की देने वाले पांडे गिरोह के चार अपरा*धी गिर*फ्तार रामगढ़ पुलिस ने लेवी के लिए हमले की योजना बना रहे मुखलाल गंझु को हथियार के साथ किया गिरफ्तार बालू खनिज के अवैध खनन व परिवहन पर 1 हाईवा वाहन को किया गया जब्त, प्राथमिकी दर्ज। जरुरतमंदों व गरीबो के लिए 31 अगस्त से शुरू होगा "खाना बैंक" इनलैंड पॉवर लिमिटेड ने कई विद्यालय को दिए वॉटर प्यूरीफायर, सेनेटरी पैड व लगाए पौधे Congress प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश का जिला अध्यक्ष जोया परवीन ने किया स्वागत Kids world स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी

किसानों के साथ बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने की अमित शाह से मुलाकात

नई दिल्लीः प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ 11 वें दौर की महत्वपूर्ण वार्ता के एक दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार रात भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों ने इस बारे में बताया। इस मुलाकात से पहले, किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।

हालांकि, कुछ किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव पर अभी अंतिम निर्णय किया जाना बाकी है और सरकार के साथ शुक्रवार को बैठक के बाद अगले कदम पर फैसला होगा। वार्ता में सरकार की तरफ से तोमर के अलावा रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोमप्रकाश हिस्सा ले रहे हैं।

किसान नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।” संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में कहा गया, ‘‘आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गयी।”