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सीबीआई ने अपने ही डीएसपी, निरीक्षक को किया गिरफ्तार

नई दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 4300 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले की आरोपी कंपनियों की मदद के लिये कथित तौर पर एजेंसी के अंदर ही घूसखोरी रैकेट के आरोप में अपने एक पुलिस उपाधीक्षक आर के ऋषि और निरीक्षक कपिल धनखड़ के साथ एक वकील को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ऋषि के मकान और रूड़की में उनकी पत्नी के मकान पर भी छापेमारी की है।

सीबीआई ने ऋषि, धनखड़ और अधिवक्ता मनोहर मलिक के साथ पुलिस उपाधीक्षक आर के सांगवान और एक अन्य वकील अरविंद कुमार गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन लोगों पर कथित रूप से आर्थिक फायदे के लिए ‘‘कुछ मामलों में जांच की सत्यनिष्ठा से समझौता” करने का मामला दर्ज किया गया था। घूसखोरी के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में श्री श्याम पल्प और बोर्ड मिल्स की अतिरिक्त निदेशक मनदीप कौर ढिल्लों और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशक सुजय देसाई व उदय देसाई का भी नाम है।

भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंधक धनखड़ प्रतिनियुक्ति पर जांच एजेंसी में निरीक्षक के तौर पर आया था। आरोप है कि धनखड़ ने ऋषि और सांगवान के साथ साठगांठ में काम किया और 700 करोड़ रूपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी में जांच का सामना कर रही श्री श्याम पल्प और 3600 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी में जांच का सामना कर रही फ्रॉस्ट इंटरनेशनल को मामले से संबंधित अहम जानकारियां देने के बदले नियमित तौर पर रकम प्राप्त कीं।

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एक अधिकारी ने कहा, “भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई की कतई बर्दाश्त न करने की नीति रही है फिर चाहे वह अन्य विभागों में हो या एजेंसी के अंदर। यह मामला सख्त निगरानी और हमारे अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण में शामिल होने का संकेत देने वाली किसी भी जानकारी पर कार्रवाई का नतीजा है।” धनखड़ को कथित तौर पर अपने वरिष्ठों सांगवान व ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए। दोनों वरिष्ठ अधिकारी क्रमश: श्याम पल्प और बोर्ड मिल्स तथा फ्रॉस्ट इंटरनेशनल का पक्ष ले रहे थे।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि उपाधीक्षक ऋषि को चंडीगढ़ स्थित कंपनी को फायदा पहुंचाने के बदले अधिवक्ता मलिक और गुप्ता के जरिये दो बार 15 लाख रुपये की रकम मिली। कंपनी के खिलाफ सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार के मामले की जांच की जा रही थी। ऋषि के जरिये सौदा करवाने के बदले धनखड़ को कथित तौर पर गुप्ता से दो बार ढाई लाख रुपये की रकम मिली। इसके अलावा कई अन्य जानकारियां व नोट भी आरोपियों के साथ साझा किये जाने का आरोप है।