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बंगाल में 10 हजार की आबादी वाले इस सीमावर्ती गांव में चल रही थी 5,000 तस्करी की दुकानें, बीएसएफ ने लगवाया ताला

कोलकाता लगभग 10 हजार की आबादी वाले किसी गांव में पांच हजार तस्करी की दुकानें संचालित थीं, यह बात शायद ही किसी को हजम हो, लेकिन बंगाल में ऐसा गांव है। राज्य के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा से एकदम सटा हाकीमपुर गांव। इस गांव में कुछ गिने-चुने लोगों को छोड़कर लगभग पूरी आबादी ही तस्करी व घुसपैठियों को सीमा पार करवाने जैसे अवैध धंधे में लिप्त थी और हजारों दुकानें खोलकर तस्करी का कारोबार चलाते थे, जिसे बीएसएफ ने लगभग पूरी तरह से बंद करा दिया है।

दरअसल आप यह सुनकर अचरज में पड़ जाएंगे कि लगभग 10,000 की आबादी वाले मुस्लिम बहुल इस गांव में स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन ने करीब 5,000 लोगों को दुकानों के लिए लाइसेंस जारी कर दिए थे। लिहाजा गांव में घरों से ज्यादा दुकानें ही नजर आती है। पंचायत, पुलिस व प्रशासन की तस्करों के साथ परोक्ष तौर पर कथित सांठ-गांठ की वजह से वर्षों से बांग्लादेश में विभिन्न सामानों की तस्करी के लिए यही दुकानें प्रमुख जरिया थी। यानी पूरे संगठित तरीके से यह धंधा चलता था। लेकिन, बीएसएफ अधिकारियों की मानें तो इस साजिश का पता चलने के बाद करीब दो वर्षों के भीतर बीएसएफ ने अब तक इस गांव के साढ़े चार हजार से ज्यादा अवैध दुकानों पर ताला लगवा दिया है। इसके बाद से इन दुकानों के जरिए होने वाली तस्करी बंद हो गई है। अब इस गांव में महज 175 दुकानें ही चल रही है। दरअसल, भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित हाकीमपुर गांव से गुजरती सोनाई नदी के जरिए सामानों की तस्करी की जाती थी ।

बीएसएफ ने गांव से गुजरने वाली अति व्यस्त मुख्य सड़क पर चेक पोस्ट भी बिठायबीएसएफ ने तस्करी व घुसपैठ के लिए कुख्यात इस गांव से गुजरने वाली अति व्यस्त मुख्य सड़क पर चेक पोस्ट भी बिठा दिया है, जहां से होकर दुकानों में सामानों की खेप पहुंचती थी। फिर इन दुकानों के जरिए पहले साडिय़ां, कपड़े, जूते- चप्पल, प्रतिबंधित फेंसिडिल कफ सिरप, दवाईयां, कॉस्मेटिक सामान, चांदी सहित घर में जरूरत की सभी सामानों की बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती थी। यहां तक कि गोमांस की भी तस्करी की जाती थी। वहीं, उस पार से बड़े पैमाने पर सोने की तस्करी होती थी।

हालांकि अभी भी इस गांव के बहुत सारे लोग तस्करी व दलाली के कार्यों में लिप्त है, जिसे उन्होंने अपनी कमाई का सबसे आसान जरिया बना लिया है, लेकिन पहले की तरह बड़े पैमाने पर होने वाले धंधे पर बीएसएफ ने पूरी तरह शिकंजा कस दिया है। वहीं, अब बीएसएफ की नजरों से बचने व उनकी आंखों में धूल झोंकने के लिए तस्कर इस क्षेत्र में बराबर नए-नए तरीके अपनाकर कभी गैस सिलेंडर में छिपाकर तो कभी कद्दू में तो कभी मोटरसाइकिल की टंकियों में छिपाकर फेंसिडिल व सोने आदि की तस्करी का प्रयास कर रहे है लेकिन उसको भी बीएसएफ लगातार विफल कर रही है।बीएसएफ ने पिछले साल यहां ऐसे मॉडल अपरेंडी का खुलासा करते हुए कई तस्करों को पकड़ा। वहीं, गांव में कुछ अच्छे लोग भी हैं जो बीएसएफ की इस कार्रवाई से खुश हैं और ट्रांस बॉर्डर अपराधों को रोकने में बल का सहयोग करते हैं।बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय सिविल प्रशासन भी इस कार्य में अप्रत्यक्ष तौर पर हमारी मदद कर रहे हैं।

इतनी दुकानें देखकर बीएसएफ अधिकारियों के भी उड़ गए थे होश 

बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि इस गांव में करीब पांच हजार दुकानें देखकर वे लोग भी चकरा गए थे। आखिर एक गांव में कितने सामानों की जरूरत पड़ती है जो इतनी दुकानें हैं। फिर वहां तैनात बीएसएफ की 112वीं बटालियन के कमांडेंट अरुण कुमार दहिया ने गांव में इतनी बड़ी संख्या में दुकानों की जरूरतों के बारे में पूरा पता लगवाया। फिर एक-एक कर इसके काले कारनामे खुलते गए। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में जिला प्रशासन व बीडीओ को कई बार इन अवैध दुकानों के बारे में जानकारी दी गई लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। पूरे सबूत जुटाने के बाद फिर बीएसएफ ने पंचायत प्रधान व ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हेंं जानकारी दी और अवैध दुकानों के लाइसेंस रद कराने के लिए दबाव डाला। इसके बाद एक-एक कर अवैध दुकानें बंद करा दी गईं। दरअसल, पहले इन्हीं दुकानों में सामानों को लाकर रखा जाता और फिर इसे रात के अंधेरे में सीमा पार करवा दिया जाता था।

सीमा पर स्थित गांव के दोनों ओर बसी है आबादी 

दरअसल, सीमा पर स्थित इस गांव के दोनों तरफ जीरो लाइन तक आबादी बसी है। इस इलाके में फेंसिंग भी नहीं है। इस गांव से सोनाई नदी बहती है जिसका आधा हिस्सा भारत में तो आधा बांग्लादेश में है। इसी नदी के जरिए सामानों की तस्करी व बांग्लादेशियों का आना- जाना होता था। बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, तस्करों को इसके जरिए सामानों को आर-पार कराने में बहुत आसानी होती है। यानी यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि तस्कर भारत से बांग्लादेश में आसानी से कोई सामान को उस पार फेंक या पहुंचा सकते हैं और उस तरफ मौजूद तस्कर उसे उठा लेता। अब बीएसएफ ने इस नदी के किनारे भी निगरानी काफी बढ़ा दी है जिससे घुसपैठ व तस्करी पर बहुत अंकुश लग गया है। हालांकि बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि गांव के बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अभी भी दलाली का नेटवर्क चलाते है और मोटे पैसे लेकर बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से आर-पार कराते है। बीएसएफ इस नेटवर्क को भी तोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत है और मानव तस्कर दलालों की लगातार धरपकड़ की जा रही है।

बीएसएफ की कार्रवाई से तस्कर आक्रोशित

इधर, हजारों अवैध दुकानें बंद करवाए जाने से तस्करी के धंधे से जुड़े लोग आक्रोशित है। हाकीमपुर गांव के रहने वाले रॉबिन भारती (42) ने बताया कि हमारी भी साड़ी की दुकान थी लेकिन बीएसएफ ने बंद करवा दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी दुकान से भी बांग्लादेश में कुछ सामानों की तस्करी की जाती थी। भारती ने कहा कि अभी फिलहाल हमलोग बैठे हुए हैं, मेरे पास कोई काम नहीं है। हालांकि गांव के कुछ लोगों ने अवैध दुकानों को बंद करवाने के बीएसएफ के कदम की प्रशंसा भी की।