कृषि कानूनों को लेकर कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर राजधानी दिल्ली में जारी किसान आंदोलन का आज 48वां दिन है। दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी, अश्रु गैस के गोले और पानी की बौछारें, हरेक दिन हो रही एक-दो मौतें और इतने सब के बावजूद सरकार कोई हल नहीं निकाल पाई है। वहीं दूसरी तरफ राजनेता इस आंदोलन को लेकर विवादित बयान देने से नहीं चूक रहे हैं।
अब बीजेपी के सांसद एस मुनीस्वामी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को प्रदर्शन करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ये बिचौलिए हैं या फर्जी किसान। ये पिज्जा, बर्गर और केएफसी का खाना खा रहे हैं। वहां उन्होंने जिम बनाया है, अब ये ड्रामा बंद होना चाहिए। आपको बतां दे कि यह पहला मामला नहीं है जब भाजपा नेताओं ने इस आंदोलन पर सवाल उठाए हों।
किसान आन्दोलन पर उच्चतम न्यायालय का सख्त रूख
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुये सोमवार को आशंका व्यक्त की कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह आन्दोलन अगर ज्यादा लंबा चला तो यह हिंसक हो सकता है और इसमें जान माल का नुकसान हो सकता है। न्यायालय ने कहा, हम नहीं चाहते कि हमारे हाथों पर किसी का खून लगे। साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सर्दी और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत वृद्ध किसानों, महिलाओं और बच्चों से अपने घरों को लौटने का आग्रह किया। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर किसी प्रकार की हिंसा और लोगों की जान जाने की संभावना को लेकर चिंतित है। पीठ ने कहा, हम सभी पर इसकी जिम्मेदारी है। एक छोटी सी घटना भी हिंसा भड़का सकती है। अगर कुछ भी गलत हो गया तो हम सभी इसके लिये जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि हमारे हाथों पर किसी का खून लगा हो