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प्रदेश की नई आबकारी नीति को मंजूरी, कोरोना के चलते लाइसेंसधारकों को राहत

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने प्रदेश की नई आबकारी नीति पर मुहर लगा दी है। प्रदेश कैबिनेट ने वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति को अनुमोदित कर दिया है।

प्रदेश में अब वर्ष 2020-21 में 28,340 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व के सापेक्ष वर्ष 2021-22 में 34,500 करोड़ रुपये का राजस्व संभावित है। इस नीति में प्रक्रियाओं का सरलीकरण भी किया गया है। इसके साथ ही फुटकर दुकानों में पीओएस मशीन व्यवस्था लागू की जाएगी। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते बाजार में आई मंदी का असर इस बार आबकारी नीति पर देखने को मिल रहा है।

सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। शराब व बीयर की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण पूर्व की भांति ही होगा। खास बात यह है कि नवीनीकरण प्रक्रिया में कोरोना संक्रमण के चलते आई दिक्कतों के मद्देनजर मौजूदा लाइसेंसी विक्रेताओं के लिए पूर्व में तय मानक शिथिल किये गए हैं। नवीनीकरण के बाद जो दुकानें बचेंगी, उनके आवंटन के लिए लाटरी ड्रा होगा।

कोरोना संक्रमण के कारण उपजी वित्तीय विषमताओं का ध्यान रख इस बात का ख्याल रखा गया है कि शराब व बीयर के लाइसेंसी विक्रेताओं और पीने के शौकीनों पर ज्यादा वित्तीय बोझ न पड़े। इसके लिए लाइसेंस शुल्क व आबकारी शुल्क में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है। चालू वर्ष में आबकारी मद से 37,500 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य तय हुआ था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में करीब 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होने का अनुमान है। पीने के शौकीन लोगों को बगैर मिलावट वाली गुणवत्तापरक व उचित मूल्य पर शराब व बीयर उपलब्ध हो सके इसके लिए अगले वित्तीय वर्ष से दुकानों पर पीओएस मशीनें भी लगाई जाएंगी। इनसे शराब व बीयर की बोतलों व केन पर अंकित बार कोड को स्कैन कर यह पता लगाया जा सकेगा कि संबंधित शराब व बीयर किस फैक्ट्री की बनी है। यह भी पता लग सकेगा कि शराब अथवा बियर बोतल में कब भरी गई और उसकी एमआरपी क्या है

दुकानों पर पीओएस मशीनों के साथ प्रिंटर भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा, जिससे खरीददार को सारा ब्यौरा मुद्रित पर्ची पर उपलब्ध करवाया जा सके। जहरीली व मिलावटी शराब बनाने व बेचने वालों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने और धरपकड़ तेज करने की भी तैयारी है। इसके लिए विभाग की प्रवर्तन मशीनरी को और मजबूत बनाया जाएगा। बीते दिनों कैबिनेट में लाये गये एक प्रस्ताव के जरिये बार लाइसेंस की नियमावली तय कर दी गई है। इस नियमावली के तहत मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित होने वाली बार कमेटी को समाप्त कर दिया गया है। अब आबकारी आयुक्त सीधे बार का लाइसेंस जारी कर सकेंगे। माना जा रहा है कि व्यवस्था में इस बदलाव से अब सूबे में और अधिक बार खुल सकेंगे।