कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठन का आंदोलन रविवार को 32वें दिन भी जारी है और राजधानी की सीमा पर धरनाप्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने के लिए देश के कई राज्यों से किसान दिल्ली के लिए कूच कर गए हैं। कड़ाके की ठंड में भी हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर डटे हुए हैं। वहीं सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए किसानों ने निगरानी के लिए वहां पर 8 सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं।
हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक
किसानों ने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक ढंग से चल रहा है और आग भी यह ऐसे ही चलता रहे और अराजकतत्व इससे दूर रहें इसके लिए सीसीटीवी लगवाए गए हैं। सीसीटीवी विभाग का प्रबंधन देखने वाले गुरदीप सिंह का कहना है कि हमारी आंदोलन वाली हर जगह पर पूरी नजर है। हमें उन घटनाओं के बारे में पता चलता है, जहां गलत मकसद वाले लोग समस्याएं पैदा करने की कोशिश करते हैं। गुरदीप सिंह ने कहा कि यहां सीसीटीव लगाने का मकसद है कि किसी भी असामाजिक गतिविधि के लिए हमें दोषी ठहराने की अगर कोशिश की गई तो हम इन वीडियो रिकॉर्डिंग से जवाब देने वाले बनेंगे। गुरदीप ने कहा कि एक महीने से किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं और इसमें र भी कई लोग शामिल हो रहे हैं। आंदोलन की आड़ में अराजकता न फैले इस पर भी हमारा ध्यान है।
किसानों-सरकार के बीच बात
किसान संगठनों और सरकार के बीच 29 दिसंबर को फिर से बातचीत होगी। किसान संगठनों ने स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।