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उत्तर प्रदेश में अब गोकशी पर दस वर्ष तक की सजा, पोस्टर भी चिपकेंगे

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर सजा को और सख्त करने का फैसला योगी सरकार ने किया है। सात साल तक के कारावास को आधार बनाकर गोकश जमानत पर रिहा न हो सकें, इसलिए कारावास को बढ़ाकर अधिकतम दस वर्ष, जबकि जुर्माने को तीन से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दिया गया है। यही नहीं, अब यूपी में गोकशी और गोतस्करी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की ऑनलाइन बैठक हुई। इसमें विभिन्न विभागों को चौदह प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को भी स्वीकृति दे दी गई। बैठक में योगी ने कहा कि इस अध्यादेश का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम, 1955 को और अधिक संगठित व प्रभावी बनाना है। गोवंशीय पशुओं की रक्षा और गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूरी तरह रोकना है।

अभी तक अधिनियम में गोकशी की घटनाओं के लिए सात वर्ष की अधिकतम सजा का प्राविधान है। इससे ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों की जमानत हो जाने के मामले बढ़ रहे हैं। जमानत के बाद उनके फिर ऐसी घटनाओं में संलिप्त होने के मामले सामने आ रहे हैं। इसे देखते हुए ही अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन करते हुए अधिकतम सजा दस वर्ष और जुर्माना अधिकतम पांच लाख रुपये किया जा रहा है।

इसके साथ ही अब गो तस्करी में शामिल वाहनों के चालक, ऑपरेटर और स्वामी भी तब तक इस इसी अधिनियम के तहत आरोपित किए जाएंगे, जब तक यह साबित न हो जाए कि उनकी जानकारी के बिना के बिना वाहन का इस्तेमाल ऐसी घटना में किया गया है। कब्जे में ली गईं गायों और उसके गोवंशों के भरण-पोषण का एक वर्ष तक का खर्च भी अभियुक्त से ही लिए जाएगा।

1956 में यूपी में लागू हुआ था अधिनियम : गोवध निवारण अधिनियम 1955 प्रदेश में छह जनवरी 1956 को लागू हुआ था। वर्ष 1956 में इसकी नियमावली बनी। वर्ष 1958, 1961, 1979 एवं 2002 में अधिनियम में संशोधन किया गया। नियमावली का वर्ष 1964 व 1979 में संशोधन हुआ लेकिन, अधिनियम में कुछ ऐसी शिथिलताएं बनी रहीं, जिसके कारण यह अधिनियम जन भावना की अपेक्षानुसार प्रभावी ढंग से कार्यान्वित न हो सका। प्रदेश के अलग-अलग भागों में अवैध गोवध एवं गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन की शिकायतें मिलती रहीं। इन्हें रोकने को ही सरकार ने अधिनियम में एक और संशोधन का फैसला किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट के अन्य फैसले

जेपी नहीं अब अल्ट्राटेक सीमेंट देगी क्षतिपूरक वनीकरण का खर्च : राज्य सरकार ने सोनभद्र के डाला क्षेत्र में सीमेंट फैक्ट्री के संचालन के लिए वन भूमि के उपयोग के एवज मीरजापुर जिले में चिह्नित की गई 470.178 हेक्टेयर भूमि पर क्षतिपूरक वनीकरण के लिए 31अक्टूबर 2019 को जारी की गई अधिसूचना में संशोधन करने का फैसला किया है। इस अधिसूचना के अनुसार क्षतिपूरक वनीकरण का खर्च जेपी सीमेंट फैक्ट्री को वहन करना था। गौरतलब है कि डाला क्षेत्र में संचालित जेपी सीमेंट फैक्ट्री को वर्ष 2017 में आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट ने खरीद लिया था। इसलिए अब अधिसूचना में संशोधन कर जेपी सीमेंट फैक्ट्री के स्थान पर अल्ट्राटेक सीमेंट का नाम दर्ज करने का निर्णय किया गया है।

जेवर एयरपोर्ट के विकासकर्ता को मिला अतिरिक्त समय : उत्तर प्रदेश सरकार ने जेवर एयरपोर्ट विकसित करने वाली स्विस कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी को कंसेशन एग्रीमेंट के लिए अतिरिक्त समय दे दिया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने नागरिक उड्डयन विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। अब एग्रीमेंट के लिए कंपनी को अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू होने के 45 दिनों के साथ ही क्वारंटराइन पीरियड पूरा करने का समय दिया गया है।

दरअसल, सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद विकासकर्ता को 45 दिनों के अंदर सरकार के साथ कंसेशन एग्रीमेंट करना होता है। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर कई देशों में लॉकडाउन है। भारत में भी अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाएं बंद हैं। इस कारण कंपनी के अफसर इस एग्रीमेंट के लिए भारत नहीं आ पा रहे हैं। स्विस कंपनी ने सरकार से एग्रीमेंट करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। इसी के तहत सरकार ने मतय किया है कि स्विस कंपनी को अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाएं शुरू होने के 45 दिनों के साथ ही क्वारंटराइन पीरियड का समय प्रदान किया जाए। या फिर 17 अगस्त अंतिम तिथि तय की है। इसमें जो भी पहले होगा उसमें कंसेशन एग्रीमेंट करना होगा।

यूपी में निवेश को बनेगी नई संस्था : उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत योगी सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। अब केंद्र सरकार की इनवेस्ट इंडिया की तर्ज पर यहां निवेश के लिए इनवेस्ट यूपी नाम की नई संस्था काम करेगी। इस संस्था का गठन अभी कार्यरत उद्योग बंधु को अपग्रेड कर किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे। औद्योगिक विकास मंत्री और लघु उद्योग मंत्री इसमें उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे।

पॉलीटेक्निक संस्थानों में रखे जाएंगे संविदा शिक्षक : राजकीय व एडेड पॉलीटेक्निक संस्थानों में संविदा पर शिक्षक भर्ती किए जाएंगे। अभी 147 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों व 18 एडेड पॉलीटेक्निक संस्थानों में शिक्षकों के तीन हजार पद हैं और इसमें से मात्र 800 पद ही भरे हैं। ऐसे में 2200 खाली पदों पर संविदा शिक्षक रखे जाएंगे। संविदा पर पढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षक जिनकी आयु 70 साल से अधिक न हो उन्हें रखा जाएगा। इन्हें 25 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। अभी तक बड़ी संख्या में पद खाली होने से गुणवत्तापरक शिक्षा देने में कठिनाई हो रही थी। शिक्षक व छात्र अनुपात बिगड़ने से पढ़ाई करवाना मुश्किल हो रहा था। फिलहाल मंगलवार को कैबिनेट ने प्राविधिक शिक्षा विभाग डिप्लोमा सेक्टर के अंतर्गत विभिन्न विषयों में प्रवक्ताओं के रिक्त पदों पर मानदेय के आधार पर संविदा शिक्षकों की भर्ती करने को मंजूरी दे दी।

मेडिकल कॉलेजों में संविदा शिक्षकों की भर्ती को बढ़ाई गई उम्र सीमा : यूपी के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए आयु की अधिकतम सीमा बढ़ा दी गई है। अभी तक संविदा पर वही शिक्षक भर्ती हो सकते थे जिनकी आयु 45 साल से ज्यादा न हो, मगर अब इसे बढ़ा दिया गया है। अब अगर कोई डाक्टर 68 वर्ष की आयु का भी है तो वह संविदा पर राजकीय मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर पद पर पढ़ा सकता है। मंगलवार को कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी। संविदा पर प्रोफेसर के लिए अधिकतम आयु सीमा 68 साल, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 64 साल व असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 60 साल अधिकतम आयु सीमा निर्धारित की गई है।राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संविदा के आधार पर चयन हेतु चिकित्सा शिक्षकों की अधिकतम आयु सीमा में बढ़ोतरी का प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अब शिक्षकों की कमी दूर होगी।

आक्सीजन बनाने को मिलेगा गंगा जल : राजकीय मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों के लिए लिक्विड आक्सीजन उत्पादन को गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा। मंगलवार को कैबिनेट ने गाजियाबाद जिले के मोदीनगर में निर्माणाधीन मै. इनौक्स एयर प्रोडेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंंपनी को 400 किलोलीटर (0.2 क्यूसेक) जल प्रतिदिन उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान कर दी है। उक्त गंगाजल मोदीनगर तहसील क्षेत्र के कस्बा निवाडी में स्थित निरीक्षण भवन से निकट ऊपरी गंग नहर से गंगा जल की आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए करीब पांच किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बनानी होगी। सीसी लाइनिंग व सम्प वेल टैंक निर्माण के लिए कंपनी सिंचाई विभाग को 73.18 लाख रुपये उपलब्ध कराएगा। गाजियाबाद के जिलाधिकारी की आग्रह पर गंगा जल प्रदान की स्वीकृति प्रदान की गयी है बता दे कि करीब सौ करोड़ रुपये निवेश से फैक्ट्री का निर्माण कर लिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूजल पर एनजीटी द्वारा रोक लगाए जाने के कारण गंगा जल की मांग की गयी। यह करार मात्र दस वर्ष के लिए मान्य होगा। फैक्ट्री संचालक को कुल 33.22 लाख रुपये जल मूल्य के तौर पर सिंचाई विभाग को देना होगा।

मुफ्त नहीं मिलेंगे यूकेलिप्टस व पापुलर के पौधे : इस बार 25 करोड़ पौधारोपण के तहत किसानों को यूकेलिप्टस व पापुलर के पौधे मुफ्त नहीं मिलेंगे। इसके लिए सात रुपये प्रति पौधा चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा 25 करोड़ पौधारोपण अभियान के लिए सभी प्रकार के पौधे योगी कैबिनेट ने मुफ्त देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। पौधरोपण के लिए प्रदेश के सभी सरकारी विभागों/ न्यायालय परिसरों/किसानों /संस्थाओं/व्यक्तियों/निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं/भारत सरकार के विभाग एवं उपक्रम/स्थानीय निकायों /रेलवे/रक्षा/औद्योगिक इकाइयां/सहकारी समितियां एवं अन्य को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं उद्यान विभाग की पौधशालाओं से मुफ्त पौधे मिलेंगे। सरकार ने यूकेलिप्टिस (सफेदा) एवं पापुलर के पौधे लगाने को हतोत्साहित करने के लिए इसके मुफ्त न देने का निर्णय किया है। वन विभाग में एक साल तक के पौधों की कीमत सात रुपये है। ऐसे में वन विभाग यूकेलिप्टस व पापुलर का पौधा सात रुपये में प्रदान करेगा।

राज्य वित्त आयोग के धन से होगी गरीबों की मदद : कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों व असहाय परिवारों की मदद और गौ-संरक्षण केंद्रों के रखरखाव के लिए राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि में से तीन प्रतिशत रकम खर्च करने की अनुमति प्रदान कर दी है। प्रमुख सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि राज्य वित्त आयोग से गरीब परिवारों में किसी की मृत्यु होने पर पांच हजार रुपये अंत्येष्टि के लिए प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा अंत्योदय श्रेणी के परिवार को कार्ड न होने की स्थिति मेें एक हजार रुपये तथा बीमार होने पर किसी योजना में कवर न होने की स्थिति में दो हजार रुपये की सहायता तत्काल प्रदान की जाएगी।

उन्होंने बताया कि उक्त मदों का व्यय राज्य वित्त आयोग की तीन प्रतिशत धनराशि से पूरा न हो पाने के हालात में ग्राम पंचायत जिलाधिकारी के माध्यम से सहायता प्राप्त करा सकते है। लाभार्थी परिवारों के चयन को ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव संयुक्त रूप से जिम्मेदार होंगे। प्रमुख सचिव ने बताया कि गौ संरक्षण केंद्रों के रखरखाव पर राज्य वित्त आयोग की रकम खर्च हो सकेगी। इससे भूसा भंडार निर्माण को मानव श्रम पर व्यय होगा। भूसा लाने व कटाई करने पर हुए खर्च का भुगतान किया जा सकता है। गौ संरक्षण केंद्रों पर पशुओं की संख्या के आधार पर नियुक्त गौ-सेवक श्रमिकों का पारिश्रमिक का भुगतान भी किया जा सकेगा।

लेखाकारों की पदोन्नति की राह खुली : कैबिनेट ने जिला पंचायतों के लेखाकारों का द्विस्तरीय ढांचा बनाए रखने व लेखाकार के पद को कार्य अधिकारी के पोषक संवर्ग में पूर्व की भांति बनाए रखने की स्वीकृति प्रदान कर उनकी पदोन्नित की राह खोल दी है।

सामग्री की कीमतें बढ़ीं तो पीडब्ल्यूडी नहीं करेगा बढ़ी दरों पर भुगतान : राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत के कार्यों में केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में प्रचलित ‘स्टैंडर्ड बिल्डिंग डॉक्यूमेंट प्रोक्योरमेंट ऑफ सिविल वर्क्स को अपनाने का फैसला लिया गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लोक निर्माण विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस फैसले से निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की दरों में परिवर्तन होने पर मूल्य समायोजन की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के वित्तीय नियमों के प्रावधान लागू हो सकेंगे। इन प्रावधानों के अनुसार मूल्य समायोजन ऐसे कार्यों में अनुमन्य किया जाता है जिनमें काम पूरा होने की समयावधि 18 माह से अधिक होती है।

मौजूदा व्यवस्था के अनुसार मूल्य समायोजन ऐसे निर्माण कार्यों में देय होता है जिनमें अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य पूरा होने की अवधि 12 माह से अधिक होती है। मूल्य समायोजन के लिए समय सीमा को 12 माह से बढ़ाकर 18 माह से अधिक करने पर निर्माण सामग्री की दरों में वृद्धि होने से विभाग को बढ़ी हुई दरों पर भुगतान नहीं करना पड़ेगा। इससे निर्माण कार्यों के एस्टीमेट को बार-बार पुनरीक्षित करने की जरूरत नहीं होगी। इससे सरकारी धन व समय की बचत होगी। अनुबंध के तहत कराए जाने वाले कार्य समय से पूरे हो सकेंगे।

भवन निर्माण कार्यों में केंद्र की गाइडलाइंस लागू करेगा पीडब्ल्यूडी : कैबिनेट ने लोक निर्माण विभाग में पांच करोड़ रुपये से ज्यादा लेकिन 50 करोड़ रुपये तक की लागत के भवन निर्माण कार्यों के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की ओर से जारी ‘जनरल कंडीशन ऑफ कॉन्ट्रैक्ट 2019 कंस्ट्रक्शन वर्क्स  (यथा संशोधित) को लागू करने का निर्णय किया है। वही 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत के भवन निर्माण कार्यों को ईपीसी मोड पर कराने के लिए भी इसे लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले से भवन निर्माण कार्यों के लिए अलग से अनुबंध प्रपत्र अनुमन्य हो सकेंगे जिससे काम कराने में आसानी होगी।

आजमगढ़ से मऊ तक लखनऊ-बलिया राजमार्ग होगा फोरलेन : कैबिनेट ने लखनऊ-बलिया राजमार्ग संख्या-34 के आजमगढ़ से मऊ तक के 46 किमी लंबे हिस्से को चार लेन चौड़ा करने और सुदृढ़ीकरण कार्य के लिए व्यय वित्त समिति की ओर से मंजूर की गई 432.94 करोड रुपये की पुनरीक्षित लागत के व्यय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस मार्ग के चार लेन में तब्दील हो जाने से छोटे वाहनों के लिए सुरक्षित व दुर्घटना मुक्त कॉरिडोर उपलब्ध हो जाएगा। भारी और हल्के वाहनों का यातायात सुविधाजनक हो जाएगा। मार्ग पर खराब हुए वाहनों को सुरक्षित पार्किंग व मरम्मत के लिए स्थान उपलब्ध हो सकेगा।

कम जगह पर लगा सकेंगे औद्योगिक पार्क और लॉजिस्टिक पार्क : उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार यथासंभव नीति-नियमों में संशोधन के लिए तैयार है। यूं तो सरकार लैंडबैंक बढ़ाने के लिए भी पूरे जतन कर रही है, इसके साथ ही औद्योगिक पार्क आदि के लिए अब भूमि सीमा घटाने का फैसला भी किया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप्र औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017, निजी औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन योजना के साथ उप्र वेयर हाउसिंग तथा लॉजिस्टिक नीति- 2018 में संशोधन पर सहमति दे दी थी। मंगलवार को यह तीनों प्रस्ताव औद्योगिक विकास विभाग द्वारा कैबिनेट की बैठक में रखे गए। इन तीनों को ही स्वीकृति दे दी गई।

उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 और निजी औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन योजना के तहत निजी औद्योगिक पार्कों के लिए भूमि की सीमा घटाकर बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक कर दिया है। मध्यांचल और पश्चिमांचल (गाजियाबाद एवं गौतमबुद्धनगर को सम्मिलित करते हुए) 30 एकड़ या उससे अधिक किया गया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लॉजिस्टिक्स नीति-2018 में लॉजिस्टिक्स पार्क की पात्रता सीमा 50 एकड़ से घटाकर 25 एकड़ की गई है। सरकार को भरोसा है कि इन संशोधनों से प्रदेश में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।