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रामगढ़ की इन नारी शक्तियों के हौसले और जज्बे को देख दंग रह जाएंगे

News lens:झारखंड प्रदेश के सेंट्रल कोल् फील्ड लिमिटेड अंतर्गत झारखंड परियोजना में कार्यरत इकलौती महिला शावेल ऑपरेटर ने मर्दो के लिए चुनौती पेश करते हुए अन्य महिलाओं को दे रही हैं एक छोटी सी आशा महिला सशक्तिकरण पर पेश है एक विस्तृत रिपोर्ट
“महिला अबला नही अब सबला है” इस कहावत को चरितार्थ कर रही है सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में कार्यरत महिलाकर्मी। रामगढ़ और हजारीबाग जिले के सुदूरवर्ती सीमा पर स्थित झारखंड परियोजना में करीब तीन हज़ार चार सौ सीसीएल कर्मी कार्यरत हैं जिनमें चार सौ की संख्या में महिला कर्मी है।

महिला कर्मियों के बीच एक ऐसी भी महिला है जो इस परियोजना की खुली खदान में कार्यरत इकलौती शावेल ऑपरेटर है। शोवेल एक ऐसी भारी-भरकम मशीन होती है जो खुली खदानों में पत्थरों को काटकर उसे होलपैक में लोड करने का काम करती है, यह मशीन इतनी बड़ी होती है कि इसे पहले सिर्फ मर्द ही चलाया करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से रुक्मिणी देवी नामक महिला ने इसे सफलता पूर्वक चला कर मर्दों के लिए एक चुनौती पेश की है। इस मामले में बात करते हुए महिला शावेल ऑपरेटर रुक्मिणी देवी ने बताया कि मैं 2016 से इस पद पर काम कर रही हूँ, मैंने जान बूझकर मर्दों वाले इस काम को करना शुरू किया क्योंकि लोग औरतों को कमजोर समझते थे, लोग ये समझते थे कि औरतें सिर्फ घर का ही काम कर सकती हैं, मैं यह दिखाना चाहती थी कि औरतें मर्दों से कम नहीं है, इसलिए मैंने शावेल ऑपरेटर का काम शुरू किया, इस क्षेत्र में आने वाली महिलाओं को मैं यह कहना चाहूंगी कि वे शावेल ऑपरेटर ही बने, क्योकि झारखंड परियोजना के ओपन कास्ट माइंस की एक अच्छी शुरुआत है जिसने मुझे एक महिला को शावेल ऑपरेटर बनाया है।

महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर महिला शावेल ऑपरेटर ने यह बताया कि देश के प्रधानमंत्री मोदी जी महिलाओं के लिए अच्छा काम कर रहे है, लेकिन और बेहतर करने की जरूरत है, उनके काम से महिलाओं के अंदर एक नई उम्मीद जागी है
सीसीएल की इस झारखंड परियोजना में करीब आधे दर्जन ऐसी महिलाएं हैं जो ड्रिल ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। ड्रिल ऑपरेटर एक ऐसा पद है जो एक बड़ी मशीन के द्वारा खुली खदानों में कोयले की सिम का पता लगाता है कि कितने फीट नीचे कोयले का सिम है, फिर उसके बाद कोयले को वहां से निकालने की प्रक्रिया चालू होती है। इस मुद्दे पर एक महिला ड्रिल ऑपरेटर ने बताया कि मैं 2015 से ड्रिल ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हूं, मुझे इस काम को करते हुए गर्व होता है क्योंकि मेरा नाम भी होता है और मुझे पुरस्कृत भी किया जाता है, मेरे घरवाले भी गर्व करते है कि मेरी बेटी या बहु यह काम कर रही है, घर में खाना बनाकर रहने वाली महिलाओं के लिए मैं कहना चाहूंगी कि वे घर से बाहर निकले और हम लोगों की तरह काम करें ।
एक अन्य महिला ड्रिल ऑपरेटर ने भी बताया कि मैं अपने घर के सारे कामकाज को करते हुए इस काम को कर रही हूं, सुबह घर के खाने पीने से लेकर रसोई और चौका बर्तन भी करती हूं तथा ड्यूटी से वापस शाम को घर जाने पर भी घर के सारे काम को निपटाने होते हैं ।
पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले देश ही आज विश्व में विकास के लिए अग्रणी बने हुए हैं, हालांकि हमारे देश के प्रधानमंत्री महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जिसका असर अब वैसे जगहों पर दिखने लगा है जहाँ सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व हुआ करता था। महिला कर्मियों के बारे में बात करते हुए झारखंड परियोजना के महाप्रबंधक ने बताया कि ये महिलाएं काफी मन लगाकर काम करती है तथा इनकी उपस्थिति प्रत्येक वर्ष 300 दिनों से भी ज्यादा होती है जिसके लिए इनको पुरस्कृत भी किया जाता है, यह महिलाएं अन्य महिला ही नहीं पुरुषों के पुरुषों के लिए भी एक प्रेरणाश्रोत बनी हुई है।
झारखंड परियोजना की खुली खदानों में मर्दों को चुनौती देकर बड़े-बड़े मशीनों को खिलौनों की तरह चलाने वाली ये महिला कर्मी अन्य महिलाएं ही नही पुरुषों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई है जिससे प्रधानमंत्री के महिला सशक्तिकरण को भी बल मिल रहा है।

प्रतिभा किसी की मोहताज नही होती यह चरितार्थ कर रही राइफल शूटिंग खिलाड़ी

प्रतिभा किसी भी परिस्थिति की मोहताज नहीं होती, मन में अगर लगन हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है, यह कारनामा कर दिखाई है झारखंड रामगढ़ की रहने वाली राइफल शूटिंग की खिलाड़ी नीपू कुमारी ने ।

खुद के पास बगैर राइफल के  स्टेट लेवल मे गोल्ड मेडल जीतकर एक नया कीर्तिमान जहां स्थापित की है । अब उनकी मेहनत और लगन की बदौलत निपु कुमारी का राइफल शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर उसका चयन हुआ है और वह विशेष प्रशिक्षण के लिए पुणे रवाना हो रही है ताकि वह ओलंपिक में खेल सके और देश के लिए मेडल जीत सके।

निपु कुमारी मध्यमवर्ग की परिवार से आती है आर्थिक तंगी के कारण  उसकी खुद की अपनी राइफल नहीं है वो राइफल शूटिंग की प्रैक्टिस अब तक राइफल भाड़े पर लेकर करती आ रही थी। लेकिन निप्पू के सपनो में जान डाला लघु भारती उद्योग संस्था ने । उसकी अपनी राइफल की तमन्ना को कुछ दिनों पूर्व रामगढ़ के लघु भारती उद्योग संस्था ने पूरी कर दी है । निपु कुमारी को लगभग साडे तीन लाख रुपये मूल्य की एक राइफल गिफ्ट स्वरूप दिया ताकि प्रतिभावान खिलाड़ी की प्रतिभा  कहीं दब ना आ जाए।
निपु की माने तो वह राइफल शूटिंग में ओलम्पिक में मेडल जीतकर  रामगढ़ ही नहीं देश का नाम भी ऊंचा करना चाहती है।

झारखंड बिहार की बॉक्सिंग  चैंपियनशिप में रामगढ़ की श्वेता ने जीता गोल्ड मेडल

किसी ने खूब कहा है कि पंखों से नही हौसलों से उड़ान होती और फिर मंजिले उन्हीं को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है ।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आगे अब हम आपको मिलवाने जा रहे है मासूम सी दिखने वाली एक छोटी सी सातवी कक्षा की बच्ची स्वेता से जीसके सेल्फ़ डिफेंस के पैतरे बड़े बड़ो को जमीन में धूल चटाने के लिए काफी है ।
ये बच्ची झारखंड बिहार की बॉक्सिंग  चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल भी जीत चुकी है ।
बिहार किक बॉक्सिंग स्पोर्टस एसोसिएशन के तत्वावधान में मसौढ़ी, पटना में आयोजित दुसरा अंतर राज्य स्तरीय किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 2020 में रामगढ़ के श्रीकृष्णा विद्या
मंदिर के सातवें वर्ग की छात्रा श्वेता कुमारी ने झारखंड प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए एथेलेटक्स के रूप में भाग ली। इस दौरान श्वेता ने सब जूनियर बालिका वर्ग में बेहतर प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल प्राप्त किया। किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप
2020 में बेहतरीन प्रदर्शन कर
गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर उसके विद्यालय  कमिटी सहित कई सामाजिक संस्थाओं ने  सम्मानित किया वही छात्रा को  सम्मानित करते हुए स्कूल प्रबंधन ने उसके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दिया । इस मौके पर खिलाड़ी श्वेता ने बताया कि यह आत्मरक्षा के गुर हम लड़कियों के लिए भविष्य में काफी फायदेमंद साबित होगा। जिससे हम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेंगे।

झारखंड के रामगढ की ये नारी शक्तियां मर्दों को चुनौती देकर ये न सिर्फ महिलाएं ही बल्कि पुरुषों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई है जिससे प्रधानमंत्री के महिला सशक्तिकरण को भी बल मिल रहा है। जरूरत है इन्हें

रामगढ से संवाददाता विनीत शर्मा की रिपोर्ट