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सांसद जयंत सिन्हा के प्रयासों से हज़ारीबाग की विकास यात्रा में जुड़े नए अध्याय

अक्षयपात्र रसोईघर व सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज को क्षेत्रवासियों को किया गया समर्पित

हज़ारीबाग लोकसभा के इतिहास में 19 जनवरी 2024 का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया। हज़ारीबाग को अक्षयपात्र रसोईघर और सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज की सौगात दी गयी। सांसद सह अध्यक्ष वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति जयंत सिन्हा के प्रयासों से यह दो विशाल परियोजनाएं धरातल पर उतारी गयीं। झारखण्ड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन जी ने अपन करकमलों से इन परियोजनाओं का उद्घाटन कर इन्हें क्षेत्रवासियों को समर्पित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी और क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।

ज्ञात हो कि हज़ारीबाग के मुकुंदगंज में ₹27 करोड़ की लागत से अक्षयपात्र का विश्व के 5 सबसे बड़े रसोईघघरों में से एक रसोईघर का निर्माण किया गया है। यह अक्षयपात्र का 69 वां रसोईघर है। जयंत सिन्हा ने अपने विमानन राज्यमंत्री के कार्यकाल में इसे स्वीकृति दिलवायी थी। उनके प्रयासों से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने इस निर्माण हेतु अपने सीएसआर मद से ₹20 करोड़ की राशि उपलब्ध करवाई। आने वाले दिनों में यह रसोईघर ज़िले के 565 सरकारी विद्यालयों के 1 लाख बच्चों को रोज़ाना पौष्टिक मध्याह्न भोजन उपलब्ध करवाएगा।

इस सुअवसर पर जयंत सिन्हा ने कहा कि यह हज़ारीबाग के लिए बहुत गर्व और हर्ष का ऐतिहासिक दिन है। मैं राज्यपाल महोदय को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने हमारा निमंत्रण स्वीकारा और हम उनके करकमलों से यह लोकार्पण कर रहे हैं। अक्षयपात्र एक विशाल संस्था है, जिनके रसोईघर भारत के आलावा अन्य देशों में भी संचालित हैं। वर्तमान में यह संस्था प्रतिदिन 23 लाख बच्चों को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करवा रही है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी इस संस्था की सराहना की है। इस संस्था की स्थापना हमारे अभिभावक मुरली मनोहर जोशी जी ने की है। हज़ारीबाग को यह विशाल रसोईघर देने के लिए अक्षयपात्र को नमन करता हूँ। अक्षयपात्र हज़ारीबाग के बच्चों का कल्याण करती रहेगी। मैं क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ। कोल इंडिया और सिडबी समेत सभी संस्थाओं का आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने हमें सहयोग प्रदान किया। मैं झारखण्ड सरकार और जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों का भी सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ।

यह रसोईघर बड़ी संख्या में रोज़गार का सृजन करेगा। इससे स्थानीय किसानों व व्यापारियों को भी सीधा लाभ मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। मोदी जी के नेतृत्व में हज़ारीबाग लोकसभा में हमने कई महत्वपूर्ण परियोजनों का लोकार्पण और शिलान्यास किया है। रामगढ़ स्थित पतरातू में ₹20 हज़ार करोड़ की लागत से 4 हज़ार मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। यहाँ 6 हज़ार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिला है। हज़ारीबाग अब देश में सिर्फ कोयला नहीं बिजली भी भेजेगा। हम ₹5 हज़ार करोड़ की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग बना रहे हैं। भारतमाला परियोजना के तहत सुपर हाईवे बनेगा, जिससे हज़ारीबाग से कोलकाता सिर्फ 4 घंटो में पहुंचा जा सकेगा। वंदे भारत एक्सप्रेस व इंटरसिटी ट्रेनों का संचालन करवाया है। ₹4 हज़ार करोड़ के निवेश से यह संभव हो पाया है।

जयंत सिन्हा ने कहा कि हज़ारीबाग की तरह रामगढ़ में भी हम अक्षयपात्र रसोईघर को धरातल पर उतार रहे हैं। यह दोनों रसोईघर ₹60 करोड़ के हैं। हज़ारीबाग में अनेक विकासशील परियोजनाएं हैं लेकिन मुझे सबसे ज्यादा प्रसन्नता अक्षयपात्र रसोईघर से हो रही है क्योंकि यहाँ से हम क्षेत्र के 1.5 लाख बच्चों को रोज़ाना पौष्टिक भोजन देंगे। यह सभी कार्य मोदी जी के नेतृत्व में हो रहे हैं। इन रसोईघरों से बच्चों को तीन लाभ होंगे। उनका शारीरिक और मानसिक विकास होगा, उनकी स्कूल में हाज़री बढ़ेगी और उनमें पढ़ाई करने की क्षमता बेहतर होगी।

सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि हज़ारीबाग के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। जब हमारे सांसद जयंत सिन्हा विमानन राज्य मंत्री थे, उस समय अक्षयपात्र रसोईघर का बीजारोपण हुआ था। उन्होंने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सीएसआर से राशि बच्चों के खाने के लिए उपलब्ध करवाई थी। जब कोई जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के लिए अविश्वसनीय कार्य करता है तो यह हमारा दायित्व है कि हम उनका आभार व्यक्त करें। मैं अपने सांसद को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने हमारे क्षेत्र के बच्चों का कल्याण किया है।

राज्यपाल महोदय ने कहा कि जीवन में इससे महत्वपूर्ण क्षण और कोई नहीं हो सकता जब हम बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के प्रयासों में सफल होते हैं। हज़ारीबाग में अक्षयपात्र रसोईघर की महत्वकांक्षी योजना के उद्घाटन कार्यक्रम में आकर बहुत ख़ुशी हुई। सांसद जयंत सिन्हा के प्रयासों से ही हज़ारीबाग में यह आधुनिक रसोईघर स्थापित हो पाया है, जो आने वाले दिनों में क्षेत्र के 1 लाख बच्चों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करवाएगा। विवेकानंद जी ने कहा था कि अगर कोई हमारे सामने भूखा है तो हमें उसे भोजन कराना चाहिए न कि उसे भाषण देना चाहिए। विवेकानंद जी ने भूखे को भोजन करना भाषण से इसलिए महत्वपूर्ण बताय था क्योंकि यह हमारे वेदों में कहा गया है। विवेकानंद जी अच्छी तरह से समझते थे कि मनुष्य की पहली जरुरत उसकी भूख को शांत करना है, उसी तरह अक्षयपात्र ने भी इस बात को समझा है। अक्षयपात्र द्वारा लाखों बच्चों को भोजान करवाना मानवता के प्रति सबसे बड़ी सेवा है।

इस कार्यक्रम के उपरान्त विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सेण्टर फॉर ट्राइबल स्टडीज का लोकार्पण किया गया। ₹8 करोड़ की लागत से इसका निर्माण किया गया है। यहां क्षेत्रीय व लोक कलाओं पर रिसर्च कर उनका संरक्षण व प्रचार-प्रसार किया जाएगा। यहां विशाल संग्रहालय समेत प्रशासनिक भवन इत्यादि भी होंगे।

जयंत सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री जी हज़ारीबाग पधारे थे तब हमने उनके करकमलों से सेण्टर फॉर ट्राइबल स्टडीज का शिलान्यास करवाया था। इस बिल्डिंग का डिज़ाइन झारखण्ड के पहाड़ों के स्वरुप से लिया गया है, जो प्रधानमंत्री जी को बेहद पसंद आया था। यह परियोजना बनकर तैयार हो गयी है, जो हम सभी के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इसके उद्घाटन के लिए राज्यपाल महोदय को धन्यवाद दिया। साथ ही जनप्रतिनिधियों समेत झारखण्ड सरकार व जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं झारखण्ड का बेटा हूँ और मैं हमारी प्राचीन कलाओं में बचपन से ही रूचि लेता था। मैं हमेशा चाहता था कि झारखण्ड में एक ऐसी संस्था का निर्माण हो जहाँ आदिवासी संस्कृति और कलाओं पर अध्यनन किया जाये। हम हमारी संस्कृति को संरक्षित रखेंगे। मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है कि हम झारखण्ड का पहला सेण्टर फॉर ट्राइबल स्टडीज विनोबा भावे विश्वविद्यालय में स्थापित कर रहे हैं।

झारखण्ड की संस्कृति अनेक प्रकार की है। अगर हम इस पर शोध और चिंतन न करें तो यह विलुप्त हो जाएगी। हमारी कलाओं, भाषाओं और संस्कृति को संजोने के लिए ही हमने इस संस्था का निर्माण करवाया है। हमारी आने वाली पीढ़ियों को हमारी प्राचीन विरासत का ज्ञान और जानकारी हो, यही हमारा लक्ष्य है। मैं जनता को विश्वास दिलाता हूँ कि उनका आशीर्वाद मिलता रहा तो हम यहाँ ऐसे ही विकास कार्य करते रहेंगे। हम यहाँ एक विशाल संग्रहालय का निर्माण करवाएंगे। मुझे विश्वास है कि यह संस्थान आदिवासी संस्कृति के संरक्षण व प्रचार-प्रसार का केंद्रबिंदु बनेगा।