वाशिंगटन। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीकी इलाकों से सेना की वापसी पर चीन के साथ भारत की वार्ता चल रही है। इस बातचीत के परिणामस्वरूप चीन पैंगोंगत्सो लेक के उत्तरी किनारे से पीछे हट गया है। भारत की सेना भी दक्षिणी किनारे से पीछे हटी है। दबाव में पीछे हटी चीन की सेना की मंशा अभी साफ नहीं है। पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग समेत कुछ अन्य इलाकों में उसकी सेना अपनी सीमा से आगे काबिज है। एक अन्य इलाके कैलाश रेंज में चीन की सेना की हरकतें जारी हैं। वहां पर उसने सीमा क्षेत्र में नए गांव बसा दिए हैं और लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात कर दी हैं। चीन की नीयत पर शंका जताने वाली यह रिपोर्ट अमेरिकी अखबार वाशिंगटन टाइम्स में प्रकाशित हुई है।
चीन ने अरुणाचल से सटी सीमा पर नया गांव बसा दिया, सैन्य तंत्र कर रहा मजबूत
दोनों सेनाओं के बीच हुए समझौते के तहत पैंगोंगत्सो झील के दोनों किनारों पर किए गए निर्माण भी हटाए जाएंगे। चीन ने ये निर्माण अप्रैल 2020 के बाद किए थे, जबकि भारत ने जवाब में उसके बाद किए थे। जियानली यांग की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अरुणाचल प्रदेश में सीमा के पास गांव बसा दिए हैं। इन गांवों की आड़ में सैन्य तंत्र मजबूत किया जा रहा है। दोनों देशों की वार्ता में इन गांवों का भी उल्लेख हो रहा है। लेकिन इन गांवों को हटाने को राजी नहीं है। इसके चलते दोनों देशों के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है
एलएसी से सेना की वापसी के बावजूद चीन की नीयत पर संदेह
रिपोर्ट में कहा गया है कि एलएसी से सेना की वापसी के बावजूद चीन की नीयत को लेकर संदेह की स्थिति है। अरुणाचल प्रदेश के नजदीक सीमा पर गांव बसाने के अतिरिक्त कैलाश पर्वत और मानसरोवर इलाके में चीन ने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कर रखी हैं। यहीं पर बैलेस्टिक मिसाइल भी तैनात हैं, जो 2,200 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती हैं। ये भारत के लिए स्पष्ट खतरा हैं।
चीन भविष्य के लिए रणनीति बनाने में जुटा
रिपोर्ट के अनुसार चीन भविष्य के लिए रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। वह भारतीय सीमा के पास धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा है और उन्हें मजबूत कर रहा है। इससे भविष्य में भारत के साथ होने वाले टकराव में उसे मजबूती मिल सके।