Logo
ब्रेकिंग
रामगढ़: पुलिस ने 543 केजी डोडा किया बरामद, एक गिरफ्तार  AJSU दस सीटों पर, BJP 68, JDU 2 और LJP एक सीट पर लड़ेगी चुनाव Jharkhand Election 2024 झारखंड में दो चरणों में होंगे चुनाव, EC ने किया तारीखों का ऐलान, जाने झारखंड... रामगढ़ जिले के 18 साक्षर आरक्षी को एएसआई और दो पदाधिकारी को मिली एसआई में प्रोन्नति अवैध शराब कारोबारियों के गिरोह का पर्दाफाश, नकली शराब, खाली बोतल व स्टिकर बरामद रामगढ़ पुलिस ने 10 दिन के अंदर किया लू*ट कां*ड का पर्दाफाश,तीन गि*रफ्तार फूटबॉल मैदान को सेना के अधिकार से मुक्त करने की मांग, CEO को सौंपा ज्ञापन BFCL कर्मचारियों के बच्चों ने भोजन व प्रकृति संरक्षण, स्वच्छता जैसे मुद्दों पर किया नाटक मंचन नवरात्र के प्रथम दिन सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और रामगढ़ विधायक सुनीता चौधरी ने रांची स्थित आवास में की... एटीएम काट कर चोरी करने वाले गिरोह को पुलिस ने किया गिर*फ्तार, 05 गिरफ्तार

पॉक्सो कानून पर बॉम्‍बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा महिला आयोग, जानें क्‍या कहा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि किसी नाबालिग लड़की के सीने पर कपड़ों के ऊपर से हाथ लगने को पोक्सो एक्‍ट के तहत यौन हमला नहीं माना जा सकता है। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्‍च अदालत की पीठ ने हाईकोर्ट के उक्‍त फैसले पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा था कि यह फैसला अभूतपूर्व है और इससे खतरनाक नजीर स्थापित होने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था और अटार्नी जनरल को इस फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने की अनुमति प्रदान की थी।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर शारीरिक संपर्क की ऐसी विकृत व्याख्या की अनुमति दी गई तो इसका उन महिलाओं के बुनियादी अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जो समाज में यौन अपराधों का शिकार होती हैं। साथ ही यह व्याख्या महिलाओं के हितों की रक्षा के मकसद से बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत निर्धारित लाभकारी विधिक सुरक्षा उपायों को कम करेगी।

आयोग का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश में की गई ऐसी संकीर्ण व्याख्या खतरनाक नजीर स्थापित करती है जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डालेगी। बता दें कि वकीलों की एक संस्था यूथ बार एसोसिएशन आफ इंडिया पहले ही हाई कोर्ट के उक्त फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर चुकी है।

उल्‍लेखनीय है कि बॉम्‍बे हाई कोर्ट के उक्‍त फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ता और बच्चों के अधिकारों से जुड़े संगठनों ने भी आपत्ति जताई थी और महाराष्ट्र सरकार से इसके खिलाफ अपील दाखिल करने का आग्रह किया था। यही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी महाराष्ट्र सरकार से इस फैसले के खिलाफ तुरंत अपील दाखिल करने को कहा था।