नई दिल्ली। पाकिस्तान हुकूमत पर मुहाजिरों की अनदेखी करने और उन पर जुल्म करने का आरोप लगाने वाले पाकिस्तान के बड़े नेता अलताफ हुसैन को आईसीयू में भर्ती किया गया है। हुसैन 1991 से ही लंदन में निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के मुताबिक उनका तीन लंदन के अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने अपनी पार्टी और अपने समर्थकों को एक रिकॉर्ड मैसेज के जरिए संदेश दिया है।
पाकिस्तान के एक अखबार के मुताबिक इसमें कहा गया है आप लोगों के प्यार और समर्थन की वजह से ही वो इस मैसेज को भेज पाने के काबिल हुए हैं। उन्होंने इस मैसेज को 30 जनवरी को रिकॉर्ड किया था। पार्टी ने अपने नेता के इस मैसेज को पार्टी के वेब चैनल के जरिए लोगों तक पहुंचाया है। उन्होंने ये भी कहा है कि उनके बेहतर स्वास्थ्य होने की कामना करें। वो जल्द ही ठीक होकर दोबारा लोगों से बात करेंगे। हालांकि वो किस बीमारी की वजह से अस्पताल में पहुंचे हैं उन्होंने इसका जिक्र मैसेज में नहीं किया है। सितंबर 2020 में उन्होंने अपने एक संदेश में पाकिस्तान को मकबूजा पाकिस्तान बताया था।
अपने इस छोटे से मैसेज में उन्होंने शुरुआत में ही उन लोगों को अपना सलाम कहा है जो जेलों में बंद हैं और पाकिस्तान की कारगुजारियों को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने उन लोगों का भी जिक्र किया है जो लोग दुनिया के दूसरे मुल्कों में हैं और पाकिस्तान से सिंधियों पर होने वाले जुल्मों को खत्म करने में उनका और उनकी पार्टी का समर्थन करते हैं। अलताफ ने पिछले वर्ष ही अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान सरकार पर ये आरोप लगाया था कि वो चीन के हाथों बिक चुकी है और चीन पाकिस्तान को चाइनास्तान बनाने की तरफ काम कर रहा है। वर्ष 2008 में उन्होंने तालिबान को चेतावनी दी थी कि वो सिंध को तालिबिस्तान बनाने की कोशिश न करे। उन्होंने कई बार सिंध को पाकिस्तान से आजाद कराने की अपील की है। सिंधियों पर होने वाले जुल्मों को लेकर उन्होंने यूएन प्रमुख से भी अपील की थी कि वो इसमें दखल दें। इतना ही नहीं पाकिस्तान की आजादी के दिन को एमक्यूएम ने ब्लैक डे के तौर पर मनाया था। वो एक बार भारत में शरण लेने के लिए पीएम मोदी से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं।
अलताफ हुसैन का परिवार भरत का विभाजन होने के बाद आगरा से कराची चला गया था। वहीं पर 1953 में उनका जन्म हुआ था। आपको बता दें कि वो पाकिस्तान में मुहाजिरों के हक की आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से भारत के बंटवारे को गलत बताया है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश में किए जाने वाले कत्लेआम को गलत बताते हुए उसकी आजादी को सही बताया और हमेशा पाकिस्तान से लाइन ऑफ कंट्रोल का सम्मान करने की अपील की है। यही वजह है कि पाकिस्तान की सरकारें उन्हें हमेशा से ही भारत की झुकाव वाला व्यक्ति मानते हुए उनकी अवहेलना करती आई हैं। उनके ऊपर भारत का एजेंट होने का भी आरोप लगाया गया है।
अलताफ के मुताबिक पाकिस्तान की किसी भी हुकूमत ने मुहाजिरों के साथ अच्छा सुलूक नहीं किया। उन्हें दबाया गया और उनके ऊपर जुल्म किए गए। उन्हें पाकिस्तान की हर स्कीम से दूर रखा गया। खुद अलताफ इसके भुक्तभोगी रह चुके हैं। जब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो 2 अक्टूबर 1979 को उन्हें गिरफ्तार कर 9 माह की कैद और पांच कौड़ों की सजा सुनाई गई थी। 1986 में पाकिस्तान में हुए अलीगढ़ कालोनी नरसंहार में उनकी पार्टी एमक्यूएम का नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया और यहां से उनका राजनीतिक करियर भी शुरू हुआ। 1986 में पाकिस्तान के हैदराबाद में जहां अधिकतर सिंधी रहते थे वहां की सिंध नेशनल पार्टी के नेता जीएम सैयद ने इस क्षेत्र को सिंधु देश का नाम दिया। 31 अक्टूबर 1986 को अलताफ हुसैन ने पहली बार हैदराबाद में एक रैली को संबोधित किया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी इस गिरफ्तारी के खिलाफ लोगों ने आवाज बुलंद की तो सरकार को दबाव में आकर उन्हें छोड़ना पड़ा था।