काठमांडू। नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) ने अपने समर्थकों की एक मीटिंग बुलाई है। यह मीटिंग वहां की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) की है। 20 दिसंबर को नेपाल के सदन के प्रतिनिधियों ने ओली सरकार के इशारे पर सदन को भंग कर दिया था।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को ही संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी थी जिसे राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी (Bidyadevi Bhandari) ने स्वीकार कर लिया। यही नहीं देश में आम चुनाव कराए जाने की तारीखों का भी ऐलान कर दिया गया। नेपाल के इस बदलते घटनाक्रम से भारत और चीन सतर्क हो गए हैं जो इस हिमालयी देश में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत का विरोध करके सत्ता में आए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में मध्यावधि चुनाव की सिफारिश करके अपनी ही पार्टी के नेताओं को करारा झटका दिया है। प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की मिलीभगत से न केवल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बल्कि नेपाली जनता भी सकते में है। राजनीति में आए वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने तक का सफर बड़ा उल्लेखनीय रहा है। ओली के वामपंथी गठबंधन के संसदीय चुनाव में जीत दर्ज किए जाने के बाद 2018 में दूसरी बार सत्ता संभालने पर नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद जताई थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर सत्ता को लेकर चले लंबे संघर्ष के बाद रविवार को संसद भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर उन्होंने सभी को अचरज में डाल दिया। किशोरावस्था में ही राजनीति में एंट्री करने वाले ओली ने राजशाही का विरोध करने के लिए 14 साल जेल में बिताए। बता दें कि वेे 2018 में वाम गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे।