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Ramgarh कृषि विज्ञान केंद्र ने फसलों को किट से बचाव के उपायों के प्रति किया जागरूक

मक्का की खेती जिले में 4000 एकड़ क्षेत्र में की जा रही है

रामगढ़ जिले मक्के की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है। इस गर्मी में मार्च से अगस्त तक 3-4 फसल किसान उगा रहे है। इस वर्ष लॉक डाउन के कारण सब्जियों में अधिक मुनाफा नहीं होने के कारण किसानों ने मक्के की फसल को नगद फसल के रूप में अपनाया है। इस वर्ष जिले में 4,000 एकड़ के असपास इसकी खेती की गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा लगातार तरबूज , मक्का, शकरकंद , ओल , जैसी फसलो को नगद फसल के रूप में अपनाने एवं सामूहिक स्तर पर खेती खेती करने के लिए उपयुक्त जानकारी उपलब्ध करवाने के कारण इस वर्ष तरबूज की खेती भी रिकार्ड स्तर पर की गई है।

इसकी एक एकड़ से अधिक क्षेत्र में खेती की गई है।

मक्का की खेती जिले में 4000 एकड़ क्षेत्र में की जा रही है। इसमें गोला प्रखंड में सर्वाधिक 800 एकड़ क्षेत्र में इसकी खेती की जा रही है। इसके बाद चितरपुर, दुलमी , मांडू,रामगढ़,पतरातू आते है। गौर करने वाली बात ये है कि इसमे एक नये प्रवासी किट फाल अर्मिवार्म (प्रवासी किट ) का प्रकोप बढ़ रहा है। अगर किसान इसके नियंत्रण के लिये जागरूक नहीं हुये तो यह फसल को 30-40 % तक नुकसान पहुचा सकता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र रामगढ़ के प्रभारी डा० दुष्यंत कुमार राघव ने बताया की इसके नियंत्रण के लिए किसानों को प्रशिक्षण की आवश्कता है क्योकि इसको सिर्फ एक दवा के छिडकाव से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। लगतार मक्का की फसल लगाने से इस किट को बढ़ने का साधन मिल जाता है। इसके नियंत्रण के लिये गर्मी की जुताई आवश्यक है। किसान मक्का की फसल की जुताई एक समय पर नहीं कर रहे है जिससे इसका प्रकोप बढ़ रहा है। अगर किसान इसके नियंत्रण की तकनीक नहीं अपनाएंगे तो आने वाले समय में मक्का की खेती करना काफी कठिन हो सकता है। नेपियर घास (चारे वाले घास ) को खेत के चारो तरफ लगाये , धन वाल निकलने से पहले ही इस किट का नियंत्रण संभव है।इसके लिये 20-30 दिन की फसल पर रेत एवं चुना का (9:1)मिश्रण बनाकर बिखेर दे। 20 दिन की फसल पर निम आयल 5 ml/ लीटर की दर से छिडकाव करे। 25 से 30 दिन की फसल होने पर स्पईनेटोरम 11.7%sc का 1.5 ml/ लीटर या क्लोंरट्रानिलिप्राएल 18.5% Sc 1ml/प्रति 2.5 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।