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Jharkhand Budget 2020-21: आज पेश होगा झारखंड का बजट, ऋण माफी-चलंत अस्पताल का तोहफा

रांची। Jharkhand Budget 2020-21 झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में वित्‍त मंत्री रामेश्‍वर उरांव मंगलवार को बजट पेश कर रहे हैं। अब से कुछ देर बाद बजट सदन के पटल पर रखा जाएगा। इस बार राज्‍य के लिए 85 हजार करोड़ रुपये के बजट का खाका तय किया गया है। इस बजट में किसानों की ऋण माफी और गांव-देहात के लोगों के लिए चलंत अस्‍पताल का तोहफा दिया जा सकता है। 100 यूनि‍ट तक मुफ्त बिजली के साथ ही महिलाओं-छात्रों और बुजुर्गों के लिए फ्री बस सेवाएं भी शुरू की जा सकती हैं। इससे पहले बीते दिन सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट और वित्‍तीय हालात पर श्‍वेत पत्र पेश किया गया। भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच दो दिनों तक के बजट सत्र में अब तक कार्यवाही ठीक से नहीं चल पा रही है। मंगलवार को बजट के दौरान भी हंगामा, शोर-शराबा और नारेबाजी के पूरे आसार हैं।

राज्य के विभिन्न जिलों के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लगनेवाले हाट-बाजारों में भी इलाज हो सकेगा। इसके लिए चलंत अस्पताल (मोबाइल क्लिनिक) की योजना शुरू होगी। स्वास्थ्य विभाग के  वित्तीय वर्ष 2020-21 के प्रस्तावित बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान हो सकता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए मंगलवार को प्रस्तुत होनेवाले बजट में स्वास्थ्य सेक्टर में लगभग 3043 करोड़ रुपये के प्रावधान किए जाने की संभावना है। इसमें केंद्रीय योजनाओं के केंद्रांश व राज्यांश भी शामिल है। राज्य बजट की योजनाओं के लिए लगभग 1215 करोड़ रुपये के प्रावधान हैं। बजट में राज्य में बनकर तैयार नर्सिंग स्कूलों को संचालित करने के लिए भी राशि का प्रस्ताव किया जा सकता है। इन्हें पीपीपी मोड पर चलाया जा सकता है।

ठीक करेंगे वित्तीय प्रबंधन, नई दिशा देने वाला होगा बजट : हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को पटरी पर लाने का दावा किया है। उन्होंने अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष के हंगामे को असंवैधानिक करार दिया। कहा कि विपक्षी विधायकों का विरोध सरकार के खिलाफ नहीं है। यह स्पीकर के विशेषाधिकार के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार वित्तीय प्रबंधन बेहतर करेगी। बेपटरी हो चुकी राज्य की वित्तीय व्यवस्था को पटरी पर लाएगी। मंगलवार को पेश होने वाले बजट से संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्सुकता बनी रहने दीजिए। बजट राज्य को नई दिशा देने वाला बजट होगा।

इस दौरान हेमंत सोरेन ने विपक्ष के रवैये की कटु आलोचना की। कहा कि यह रवैया चुनाव हारने के बाद से है। भाजपा विधानसभा चुनाव परिणाम से अभी तक उबर नहीं पाया है। विपक्ष अपने पांच साल की करतूतों को सुनने को तैयार नहीं है। राज्य को जिस तरीके से दलदल में धकेला गया है, वैसा नहीं होने दिया जाएगा। झारखंड तेजी से विकास में ऊपर आएगा।  स्पीकर के निर्णय पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं है। सभी चीजें प्रक्रिया के तहत है। इसे पूरा होने तक सदन को बाधित करना न्यायोचित नहीं है। पूर्व सरकार की योजनाओं को बंद किये जाने के सवाल पर कहा कि कई योजनाएं हैं, जिसका जनता को लाभ नहीं मिला। उत्पाद की गलत नीति के कारण राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। राज्य में कार्यरत केंद्रीय उपक्रमों से पूर्व की सरकार ने राशि लेने की कोशिश नहीं की।

हर झारखंडी पर 24486 रुपये का कर्ज

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि झारखंड में प्रति व्यक्ति कर्ज 24486 रुपये है। कुल बजट के हिसाब से यह 27.1 फीसद है और धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। झारखंड में बजट आकार की तुलना में अब कर्ज का ग्राफ बढ़ गया है। चालू वित्तीय वर्ष में 85 हजार करोड़ रुपये का बजट बनाया गया था। वहीं कर्ज पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 92864 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार कर्ज का आंकड़ा अभी भी सीमा रेखा के अंदर ही है।

झारखंड सरकार अब तक 92864.5 करोड़ रुपये कर्ज में है और इस कारण कुल राजस्व के हिसाब से सात फीसद राशि ब्याज के तौर पर खर्च हो रही है। उदय योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में 5553.37 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया, जिस कारण कर्ज लेने की सीमा को सरकार पार कर गई थी। हालांकि अभी के हालात सीमा के अंदर ही हैं।

श्वेतपत्र में नकारा, आर्थिक सर्वेक्षण में सराहा

झारखंड विधानसभा में सोमवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट और श्वेत पत्र में स्पष्ट विरोधाभास देखा जा रहा है। श्वेतपत्र जहां पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार की नाकामियों को जगजाहिर कर रहा है वहीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पिछली सरकार की उपलब्धियों को सराह रही है। कई योजनाओं की तो जमकर तारीफ कर रही है। कई स्तरों पर श्वेतपत्र में रघुवर सरकार की खामियों की ओर इंगित किया गया है, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में ऐसा नहीं है।

हेमंत सरकार के कई मंत्री और नेता स्कूलों के मर्जर का खुलकर विरोध करते रहे हैं, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसे उपलब्धि के तौर पर दिखाया गया है। इतना ही नहीं ग्रामीण विकास और नगर विकास विभागों की रिपोर्ट भी पिछली सरकार की वाहवाही करती दिख रही है। जोहार योजना की प्रशंसा करते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिखा गया है कि यह परियोजना सुदृढ़ हो रही है और इसका प्रभाव अब दृष्टिगोचर हो रहा है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में मुद्रा योजना और जन-धन योजना की भी सराहना की गई है।