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रामगढ़ की पावन धरती पर 1940 में महात्मा गांधी का हुआ था आगमन

बापू गांधी ने इस अधिवेशन के माध्यम से आजादी को लेकर यहीं से हुंकार भरी थी

रामगढ़ की पावन धरती पर 1940 में महात्मा गांधी का हुआ था आगमन
देश के साथ – साथ रामगढ में भी गांधी जयंती मनाई गई।

रामगढ़ की पावन धरती पर 1940 में हुआ था कांग्रेस का अधिवेशन

बापू गांधी ने इस अधिवेशन के माध्यम से आजादी को लेकर यहीं से हुंकार भरी थी

बापू गांधी के साथ सुभाष चंद्र बोस का भी हुआ था

नरम दल और गरम दल की हुई थी अस्थापना

गांधीजी के मृत्यु के उपरांत यही मुक्तिधाम पर दामोदर नदी के घाट पर उनका अस्थि कलश विसर्जित किया गया था

रामगढ़ : झारखंड के रामगढ जिला के दामोदर नदी किनारे मुक्तिधाम में गांधी जी के स्थापित अस्थि कलश (राजघाट) में लोगो ने पुष्पांजलि देकर भजन कीर्तन कर गांधी जी को याद किया।
गांधी जी के साथ साथ लाल बहादुर शास्त्री को भी याद किया गया । 
गांधी जयंती के मौके पर मुक्तिधाम संस्था परिवार के साथ साथ शहर के कई गणमान्य लोग जिला उपायुक्त माधवी मिश्रा की विशेष मौजूदगी में महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की और बापू के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हुए भजन कीर्तन किया।
मुक्तिधाम से संबंधित इतिहास के बारे में विशेष जानकारी देते हुए रामगढ़ समाजसेवी कमल बगड़िया ने कहा कि रामगढ़ एक ऐतिहासिक धरती है जहां
1940 में रामगढ में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जिसमें में गांधी जी के साथ उस वक्त के कई दिग्गज नेता यहां रामगढ़ आए थे और बापू ने इसी स्थल से आज़ादी को लेकर हुंकार भरी थी, रामगढ़ में गांधी जी के साथ सुभाष चंद्र बोस जी का भी आगमन हुआ था और यहीं पर नरम दल और गरम दल की स्थापना भी हुई थी और यही वह पवित्र स्थल है जहां पर बापू गांधी की अंत्येष्टि के उपरांत उनकी अस्थि कलश को यहां दामोदर नदी में प्रवाहित किया गया था।