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उज्जैन में मिट्टी से बना स्टाप डैम फिर टूटा, शिप्रा में मिला गंदा पानी

उज्जैन। शिप्रा नदी में कान्ह नदी का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए त्रिवेणी के समीप बनाया गया मिट्टी का कच्चा स्टाप डैम गुरुवार टूट गया। इससे कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा में जा मिला। सूचना मिलने पर कलेक्टर आशीष सिंह ने तहसीलदार, जल संसाधन और पीएचई के अमले को मौके पर भेजा। बता दें कि कान्ह का गंदा पानी रोकने के लिए प्रशासन समय-समय 15 से 20 लाख रुपये खर्च कर इस तरह का कच्चा स्टाप डैम बनाता है। बीते वर्ष अप्रैल में भी यह डैम टूट गया था। इसके बाद इसे फिर से बनाया गया था। गुरुवार सुबह 5 बजे ये बांध टूट गया। इसके बाद बड़ी मात्रा में कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा में मिला। पीएचई के अधिकारियों के अनुसार इंदौर से आ रही कान्ह नदी में पानी बढ़ने से बांध टूटा।

95 करोड़ रुपये खर्च कर तैयार की थी योजना

मालूम हो कि इंदौर शहर का सीवरेज, कान्ह नदी के जरिए उज्जैन आकर पवित्र शिप्रा नदी में मिलता है। इससे शिप्रा का शुद्ध जल भी दूषित हो जाता है। श्रद्धालुओं को पर्व स्नान इस दूषित जल में न करना पड़े, इसके लिए चार साल पहले शासन ने 95 करोड़ रुपए खर्च कर योजना तैयार की थी। इसके तहत खान नदी को डायवर्ट करने के लिए त्रिवेणी से पहले राघौपिपल्या गांव से कालियादेह पैलेस तक भूमिगत पाइपलाइन बिछवाई थी। इंदौर में सीवरेज पानी के उपचार के लिए ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता भी बढ़ाई थी। कहा गया था कि वर्षाकाल (जून से सितंबर) को छोड़ शेष 8 माह में कभी भी नहान क्षेत्र (त्रिवेणी से कालियादेह) के बीच शिप्रा में खान का पानी नहीं मिलेगा।

लेकिन बीते चार साल में ऐसा कभी नहीं हुआ। हर साल अक्टूबर के बाद भी ग्रीष्मकाल प्रारंभ होने तक शिप्रा में खान का पानी मिलता रहा। कभी पाइपलाइन लिकेज की वजह से तो कभी इंदौर से सीवरेज का पानी अधिक मात्रा में आने के कारण। इसी कारण मिट्टी का कच्चा बांध बनाया जाता है।

डायवर्शन को पूरी क्षमता से चलाने के निर्देश

मामले को लेकर कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि मौके पर जलसंसाधन और पीएचई का अमला तैनात किया गया है। साथ ही कान्ह डायवर्शन सिस्टम को पूरी क्षमता से चलाने के निर्देश दिए हैं।