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इंदौर: इंदौर में पिछले दिनों निगम द्वारा बुजुर्गो को पशुओं की तरह ट्रक में भर कर इंदौर की सीमा से बाहर फैंकने के मामले में जांच पूरी हो गई है। हर बार की तरह इस बार भी बड़े अधिकारियों की बजाय छोटे कर्मचारियों की बलि चढ़ी जिसमें 6 कर्मियों को दोषी मानते हुए उन्हें नौकरी से निकाला जाएगा। नगर निगम के अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य ने मंगलवार को निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
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इंदौर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल के अनुसार उन्हें अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य द्वारा जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है। उन्होंने बताया कि जांच में नगर निगम के 6 और मास्टर कर्मी दोषी पाए गए हैं जिनकी लापरवाही और बुजुर्गों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करने के कारण नगर निगम की छवि धूमिल हुई है। इन सभी 6 मस्टर कर्मियों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी। पाल ने बताया कि जांच में उपायुक्त सोलंकी को भी दोषी पाया गया है। उन्होंने बताया कि सोलंकी की लापरवाही के कारण बिना किसी सक्षम स्वीकृति के वृद्ध भिक्षुकों को रैन बसेरा पहुचाने के बजाए शहर से बाहर ले जाया गया। सोलंकी के खिलाफ विभागीय जांच (डीई) की जाएगी।
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जांच में दोषी पाए गए 06 मस्टर कर्मचारियों के नाम
जितेंद्र तिवारी
अनिकेत करोने
राज परमार
गजानंद महेश्वरी
राजेश चौहान
सुनील सुरागे
हालांकि इस कार्रवाई को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। क्योंकि हर बार की तरह छोटे कर्मचारियों की बलि चढ़ाई गई। क्योंकि बड़े अधिकारियों के आदेश के बिना कोई भी छोटा कर्मचारी ऐसे अपनी मर्जी से नहीं कर सकता।
आपको बता दें पिछले दिनों इंदौर नगरनिगम की कारगुजारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था जिसमें आश्रम में रह रहे बुजुर्गों को जानपरों की तरह गाड़ियों में भरकर इंदौर की सीमा से बाहर किया जा रहा था। इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश मे इंदौर की बदनामी हुई थी इसके बाद खूब हंगामा भी हुआ था साथ ही कांग्रेस ने धरने प्रदर्शन तक कर अपना विरोध भी दर्ज करवाया था और सम्भायुक्त को ज्ञापन देकर नगर निगम के बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही करने के साथ ही इंदौर कलेक्टर पर भी कार्यवाही करने की बात कही थी।