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मध्य प्रदेश में दिग्गी राजा की दुविधा से कांग्रेस को न माया मिली और न राम

मध्य प्रदेश। दिग्गी राजा यानी मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम नेता दिग्विजय सिंह। निजी और राजनीतिक जीवन में उनके नाम कई ऐसे कीर्तिमान दर्ज हैं जिनके बारे में अधिकतर नेता सोच भी नहीं सकते। कांग्रेस की प्रादेशिक और राष्ट्रीय राजनीति में दिग्गी राजा को कई अच्छी-बुरी बातों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। उनकी उम्र काफी हो चली है, पर अब भी हर दिन भरपूर सक्रिय रहते हैं और अपनी अलग शैली में कुछ न कुछ नया किया करते हैं। उनका सबसे ताजा कारनामा है, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग धनराशि का चेक श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पते पर भेजना।

दिग्गी राजा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में कई अहम भूमिकाओं में रह चुके हैं। उनके लिए यह समझना कतई कठिन नहीं है कि राम मंदिर निर्माण की सहयोग राशि प्रधानमंत्री को भेजना कितना बेतुका एवं हास्यास्पद है। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट गठित है। देशभर से प्राप्त हो रही सहयोग राशि इसी ट्रस्ट के खाते में जमा हो रही है। आम श्रद्धालुओं की तरह लाखों कांग्रेसी भी इसी ट्रस्ट के खाते में सहयोग राशि जमा कर रहे हैं, पर दिग्गी राजा तो दिग्गी राजा ठहरे। वह भला आम आदमी की तरह क्यों सोचें?

वह आम आदमी की तरह सोचने लगेंगे तो कांग्रेस की मौजूदा हालत और खुद उनकी उम्र-आधारित परिस्थितियों के बीच उनकी क्या प्रासंगिकता रह जाएगी? इसलिए राजा साहब ने अपना चेक प्रधानमंत्री को भेज दिया। इसके पीछे उनके अपने तर्क होंगे, पर उनके इस कृत्य पर आम आदमी के अपने सवाल हैं। यक्ष प्रश्न यह है कि राम को काल्पनिक पात्र बताने वाली पार्टी के इतने वरिष्ठ नेता को राम मंदिर निर्माण में सहयोग करने की जरूरत क्यों महसूस होने लगी? ज्यादा वक्त नहीं हुआ। प्रियंका गांधी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने अयोध्या गई थीं, पर रामलला का दर्शन करने नहीं गईं। दिग्विजय सिंह कांग्रेस के उन नेताओं में शुमार हैं जो भारतीय जनता पार्टी पर धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप जड़ते रहे हैं। वह राम मंदिर आंदोलन को भी राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं।

मध्य प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता भी सवाल उठा रहे हैं कि दिग्गी राजा द्वारा मंदिर निर्माण की सहयोग राशि का चेक प्रधानमंत्री को भेजना क्या राजनीति नहीं है? वह इस बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, पर आम आदमी उनकी स्वीकारोक्ति का इंतजार नहीं करता। सबको दिख रहा है कि राजा साहब राम मंदिर निर्माण में भी नकारात्मक राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। जब उनके कद का नेता ऐसी हरकत करता है तो उसका खामियाजा पार्टी को भी भुगतना पड़ता है। कांग्रेस पहले ही बहुत कुछ भुगत रही है। दिग्गी राजा जाने-अनजाने उसके भविष्य को भी अभिशप्त करवा रहे। मध्य प्रदेश के तटस्थ लोग इस बात पर शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि हिंदू आतंकवाद जैसा जुमला इसी प्रदेश के कांग्रेसी नेता ने गढ़ा। सनातन धर्म के संतों और धर्माचार्यो के बारे में सर्वाधिक अपमानजनक टिप्पणियां यहां के कांग्रेस नेताओं ने ही कीं। पार्टी इसका खामियाजा भी भुगत रही है, पर दिग्विजय सिंह जैसे नेता अब भी इन सबसे सबक सीखने को तैयार नहीं।

राम मंदिर निर्माण के लिए मध्य प्रदेश समेत पूरे विश्व में उल्लास हिलोरे ले रहा है। अमीर-गरीब अपनी क्षमता के मुताबिक आर्थिक योगदान करके धन्य महसूस कर रहे, पर दिग्विजय सिंह अब भी इसे लेकर राजनीति में उलङो हैं। उनके मन में राम मंदिर के प्रति रंचमात्र आस्था होती तो वे ऐसी हल्की हरकत न करते, पर वह अपनी सोच और आदत से लाचार हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि मध्य प्रदेश राम मंदिर निर्माण के लिए बढ़-चढ़कर सहयोग करने वाला प्रदेश है। यहां के मुसलमान भी दिल खोलकर धनराशि समíपत कर रहे हैं, पर दिग्विजय सिंह को भ्रम हो रहा कि राम मंदिर निर्माण के प्रति सच्ची आस्था दर्शाने से उनका वोटबैंक लुट जाएगा। मध्य प्रदेश में उनके पास कहां वोटबैंक बचा है? उनकी दुविधा से कांग्रेस को न माया मिली और न राम।

वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में किसानों से कर्जमाफी का झूठा वादा करके कांग्रेस अपना रहा-बचा आधार भी गंवा चुकी। राम मंदिर निर्माण में सच्चे मन से सहयोग करके पार्टी अपना प्रायश्चित शुरू कर सकती थी, पर राजा साहब ने अपनी स्मार्टनेस से यह अवसर भी छीन लिया। हर स्तर के देशवासियों के सहयोग से अयोध्या में कुछ ही वर्षो में दुनिया का भव्यतम धर्मस्थल बनकर तैयार हो जाएगा, पर इसके निर्माण के इतिहास में कांग्रेस को दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की निम्नस्तरीय हरकतों के अलावा अपना कोई योगदान नहीं दिखेगा।