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किसानों के समर्थन में कांग्रेस की ‘किसान संघर्ष अधिकार यात्रा’, सैकडों ट्रैक्टर लेकर निकले काग्रेंस नेता

रतलाम: किसान आंदोलन के समर्थन और तीनों कृषि बिल वापस लेने के लिए रतलाम में कांग्रेस ने किसान संघर्ष अधिकार यात्रा ट्रेक्टर रैली के रूप में निकली। ट्रैक्टर रैली में पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव और युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया उपस्थित थे।

केन्द्र सरकार द्वारा पारित किसान बिलों का विरोध करते हुए किसान संघर्ष यात्रा के बाद अब किसान अधिकार यात्रा ट्रेक्टर रैली के रूप में निकाली गई। सज्जन मिल चौराहे से प्रारंभ ईस रैली को प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा द्वारा हरि झंडी देकर रवाना किया। ट्रैक्टर रैली में सैलाना विधायक हर्षविजय गहलोत, आलोट विधायक मनोज चावला, मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया सहित स्थानीय नेता व किसान शामिल रहे। रैली में सैकडों के तादाद में ट्रैक्टर पर किसान बिल का विरोध करते नजर आए। यह रैली शहर के मुख्य मार्ग से होकर दो बत्ती चौराहे पर समाप्त हुई। जहां सबो को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने केन्द्र सरकार को कोसते हुए कृषि कानून बिल को वापस लेने मांग करते हुए एसडीएम शहर को ज्ञापन सौंपा।

राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर अध्यादेश निरस्त करने की मांग
सभा स्थल पर ही कांग्रेस नेताओं ने संबोधन समाप्त होने के बाद शहर एसडीएम अभिषेक गहलोत को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में तीनों कृषि अध्यादेश निरस्त करने की मांग की गई। ज्ञापन में बताया गया कि मोदी सरकार ने बिना किसी किसान संगठन की राय लिए इन अध्यादेशों को बनाया और लागू किया। अध्यादेश जिन राज्यों में पूर्व में लागू है उनकी असफलता, शोषण, महंगाई पर क्या प्रभाव होगा इसका उल्लेख नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश को होल्ड कर रखने का अंतरिम आदेश देकर इसपर परोक्ष प्रश्नचिन्ह खडे किए हैं। शासन द्वारा प्रस्तुत बयान और हलफनामे में अधूरी और अपुष्ट बातें कही जाने पर कोर्ट ने भी गंभीर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने भी कानून पर विश्वास न कर कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। अध्यादेश लागू होने के पूर्व ही 5 उद्योगपतियों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों टन का भंडारण करने की व्यवस्था में हजारों करो? रुपए का निर्माण किया जो आश्चर्यजनक है। मोदी सरकार द्वारा एमएसपी तथा मंडी व्यवस्था चालू रखने के बारे में लिखित आश्वासन देने से भी इनकार करना, उनकी बदनियत को स्पष्ट जाहिर करता है। ऐसे में 27 नवंबर 2020 से आंदोलनरत किसानों के समर्थन में देश में हुए हजारों से ज्यादा प्रदर्शनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आंदोलन के दौरान 186 किसानों की मौत हो चुकी है और जीडीपी में कृषि का प्रतिशत गंभीर गिरावट दर्शा रहा है जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ की हड्डी है। ऐसे में गंभीरता से इस विषय पर निर्णय लिया जाए।