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सभी राज्यों में पुलिस अधिकारियों को सिटीजन कॉप ऐप उपयोग करने की सलाह

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में वर्ष 2013 से इस्तेमाल किए जा रहे सिटीजन कॉप ऐप की उपयोगिता को देखते हुए अब देश के सभी राज्यों में लागू करवाने की तैयारी चल रही है। पूरे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसका उपयोग हो रहा है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने हर जिले के पुलिस अधिकारियों को एप का उपयोग करने संबंधी सलाह देते हुए पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि पुलिस के साथ जनता को सीधे जोड़ने वाले ऐप को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसे लागू करवाने के लिए किसी तरह के फंड की जरूरत भी नहीं है।

हर जिले के पुलिस अधिकारियों को दिया सुझाव

गूगल प्ले स्टोर से एप को अब तक पांच लाख मोबाइल उपभोक्ता डाउनलोड कर चुके हैं। इसे बनाने वाले सिटीजन कॉप फाउंडेशन के संस्थापक राकेश जैन का कहना है कि महाराष्ट्र में एप की शुरुआत करने के लिए वहां के अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं। जल्द ही वहां भी इसका उपयोग जनता कर सकेगी। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो द्वारा जारी पत्र के आधार पर अगर अन्य राज्य एप को अपनाना चाहते हैं तो एक ही एप में उनके राज्यों के लिए भी अलग से विकल्प तैयार कर दिए जा सकते हैं। इससे हर राज्य को जनता से पुलिस और प्रशासन को जोड़े रखने के लिए अलग से कोई एप बनाने की जरूरत नहीं होगी।

ये हैं विशेषताएं

– एप के माध्यम से आम जनता 24 घंटे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क कर सकती है।

– अधिकारी भी जनता से जुड़े रह सकते हैं।

– पुलिस को कोई भी गोपनीय जानकारी बिना पहचान बताए प्रेषित की जा सकती है।

– परिवार के सदस्यों के लिए माय सेफ जोन सुविधा दी गई है। इससे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो की सुरक्षा जीपीएस लोकेशन से की जा सकती है।

– एप पर हेल्प मी और ट्रैवल सेफ सुविधा भी दी गई है। इसमें यात्रा करते समय टैक्सी या बस का नंबर और लोकेशन फिट कर अपनी जानकारी सिटीजन कॉप एप के सर्वर में जमा कर सकते हैं।

– एप पर ट्रैफिक और अन्य समस्याओं की जानकारी भी फोटो, वीडियो और आवाज संदेश के साथ भेजी जा सकती है।

– इसी तरह ट्रैफिक आइक्यू, ट्रैक माय लोकेशन, व्हीकल सर्च, रिपोर्ट लुकअप जैसे कुछ फीचर्स दिए गए हैं।

बहुत उपयोगी फीचर्स हैं ऐप में

ट्रैवल सेफ: इस विकल्प में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर बच्चे अगर स्कूल या कोचिंग जाते हैं तो उनकी जीपीएस लोकेशन पहले से तय की जा सकती है। अगर बच्चा तय लोकेशन से अलग जाता है तो उसकी जानकारी एसएमएस द्वारा घर के सदस्यों को मिल जाती है।

एसओएस: किसी स्थान पर अगर महिला या कोई व्यक्ति परेशानी में है या अपराध होने की स्थिति बनती है तो एप पर मौजूद एसओएस बटन को तीन बार दबाकर अपनी लोकेशन पुलिस तक पहुंचाई जा सकती है।

रिपोर्ट: शहर में अगर किसी जगह पर अपराध होने का अंदेशा रहता है तो उसकी जानकारी एप से दी जा सकती है।

मोबाइल ट्रैकिंग: गुम या चोरी हुए मोबाइल की जानकारी आइएमईआइ नंबर के साथ एप पर दी जा सकती है। शिकायत के आधार पर पुलिस मोबाइल को ट्रैकिंग पर लगाती है। एप के माध्यम से अब तक 45 हजार से ज्यादा मोबाइल को ढूंढ निकाला गया है। इनकी कीमत करीब 70 करोड़ रुपये है।