बड़वानी: कमलनाथ सरकार के समय आयकर छापों के दौरान दस्तावेज में आये कांग्रेस विधायकों के नाम को लेकर सियासत गर्म हो चली है। इसको लेकर पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन, पानसेमल विधायक चंद्रभागा किराड़े और सेंधवा विधायक ग्यारसीलाल रावत ने प्रतिक्रिया दी है। तीनों विधायकों ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र और बदले की कार्रवाई करार दिया है।
कमलनाथ सरकार के समय पड़े आयकर छापों के दस्तावेजों के लेनदेन करने वाले मामले में तीन IPS सहित 50 से अधिक वर्तमान विधायक व नेताओं के नाम आने के साथ-साथ कई मीडिया रिपोर्टरों में बड़वानी जिले के कांग्रेस के दो विधायक सेंधवा विधायक ग्यारसी लाल रावत और पानसेमल विधानसभा से कांग्रेस विधायक चंद्रभागा किराड़े के नाम आने से राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है। जिले के कांग्रेस के तीनों विधायकों ने जहां इसे राजनीतिक षड्यंत्र और बदले की कार्रवाई करार दिया है तो वहीं इस मामले को लेकर सेंधवा विधायक ग्यारसी लाल रावत का कहना है, कि मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। यह बदले की भावना से काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि विधायकों को प्रताड़ित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। सरकार के अच्छे काम करने की भावना नहीं है। बेरोजगार को रोजगार नहीं मिल रहा, पलायन हो रहा है इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है, सिर्फ उलझाने का काम है।
वहीं पानसेमल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक चंद्रभागा किराड़े ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने ऐसी किसी जानकारी के होने से इंकार कर दिया। उन्होंने दस्तावेजों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसा तो कोई भी लिख सकता है। साथ ही उन्होंने कहा है कि ना मेरे पास कोई काला धन आया, ना मैं इस बात को मानती हूं। वहीं इस मामले को लेकर प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री और राजपुर से कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने इसे ध्यान बंटाने की कलाकारी की राजनीति करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जब सारी चीजें जांच के दायरे में हैं। तो सब स्पष्ट हो जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने शिवराज सरकार पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में लॉ एंड ऑडर और उसकी स्थिति पूरी तरह समाप्त हो गई है, साथ ही उन्होंने कोरोना के बारे में कहा कि गांव-गांव तक कोरोना पहुंच चुका है। इससे निपटने के क्या इंतजाम हैं यह स्पष्ट होना चाहिए।