आखिर कौन सुनेगा इन कोरोना वारियर्स की फरियाद ? #रामगढ़
कोरोना वारियर्स ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष किया प्रदर्शन
झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे कोरोना वारियर्स
रामगढ़: झारखंड के रामगढ़ से स्वास्थ्य विभाग की मजबूरी का एक हैरान करने वाला तस्वीर सामने आया है। इस मजबूरी ने तीन दर्जन से अधिक कोरोना योद्धाओं को भुखमरी के कगार पर ला दिया है । यानि जिन कोरोना वारियर्स को जहां सम्मान मिलना चाहिए था उन्हें मिला अपमान और पेट पर लात।
यह नजारा है झारखंड के रामगढ जिले की उन महिला पुरुष कोरोना योद्धाओं की जो अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ डीसी ऑफिस के सामने प्रदर्शन कर रही है, इनके अनुसार इनकी हालात पहले से ही खस्ताहाल थी, लेकिन अब तो इनकी रोजी रोजगार भी छीन गई जिसके कारण इनके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई ।
दअरसल जिले के स्वास्थ विभाग में शिवा प्रोटेक्शन आउटसोर्सिंग के तहत स्वास्थ्यकर्मी , ड्रेसर, लैब टेक्नीशियन, ओटी असिटेन्स, एएनएम ,जीएनएम और ड्राइवर के पद पर कर्मी काम कर रहे है। इस कोरोनकाल मे स्वास्थ विभाग के साथ ये आउटसोर्सिंग कर्मी कदम से कदम मिला कर इनके साथ काम रहे है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है जहां ये कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोनाकाल मे यहां काम किये है । इन लोगो को झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और आज उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है ।
आउट सॉर्सिंग में काम कर रहे इन कोरोना योद्धाओं के अनुसार इन महिला व पुरुष कर्मी को नौकरी से ही निकाल दिया गया है। मजबूरन इन कोरोना योद्धाओं ने उपायुक्त कार्यालय सामने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
जल्द ही इनके समस्याओं का समाधान होगा : सीएस
इन कोरोना योद्धाओं की दुर्दशा के बारे में जब जिला के सिविल सर्जन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इन लोगों के पास झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल का निबंधन नहीं है इसलिए इनलोगो को आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा कार्य पर रखना सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है । साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा, हालात ठीक हो जाएंगे।
सभी का बकाया बेतन भुगतान किया जाएगा : प्रबंधक
वही इस संबंध में जब आउटसोर्सिंग कंपनी शिवा प्रोटेक्शन के प्रबंधक चंदन सिंह से बात की गई तो उन्होंने
कहा की जिनके पास पारा मेडिकल काउंसिल का निबंधन नहीं है या नवीनीकरण नहीं है उन्हें रामगढ़ डीसी के आदेशानुसार कार्य पर रखना सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है । साथ ही उन्होंने कहा की जो भी तकनीकी कर्मी कोरोना काल के दरमियान कार्य किए हैं । उन सभी का बकाया बेतन भुगतान किया जाएगा और उन्हें समायोजित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए हर संभव प्रयास की जाएगी ।
आखिर कौन इनकी फरियाद सुनेगा ?
चाहे कारण जो भी हो अब ऐसे में सवाल उठता है कि इनकी समस्याओं का निदान कौन करेगा जिन्होंने इस विकट परिस्थिति कोरोना काल में जनता की सेवा में जान जोखिम में डालकर 24 घंटा डटे रहें आज उनको झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है । आखिर कौन इनकी फरियाद सुनेगा ?