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International Women’s Day: इन फिल्मों में एक्टर पर भारी पड़ीं एक्ट्रेसेस, पर्दे पर ऐसे किया खुद को साबित

नई दिल्ली। सिनेमा हमारे समाज का आइना है। फिल्मों में वही दिखाया जाता है जो अमूमन हमारे चारों ओर चल रहा होता है। वहीं, अगर हम फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्रियों के किरदारों की बात करें तो एक वक्त ऐसा था जब ​एक्टर्स को ज्यादा मजबूत तरीके से पेश किया जाता था। अक्सर भारतीय सिनेमा में महिलाओं पर सेक्सिस्ट होने की बात कहीं गई। फिर चाहे उन्हें आइटम नंबर करना हो या फिर उन्हें आर्म-कैंडी के रूप में देखना हो। हालांकि महिलाओं के कुछ ऐसे पात्र भी सामने आए, जिनका लोहा आज भी माना जाता है। फिर एक फिल्म आई ‘मदर इंडिया’ इस फिल्म में महिला के किरदार को जिस तरह से पेश किया गया उसने लोगों की सोच को बदल दी। इसके बाद कुछ ​एक फिल्में महिलाओं को केंद्रित करते हुए बनाई गईं।

90s की कुछ फिल्मों में एक्ट्रेस दिखीं सश्क्त:

फिर एक वक्त ऐसा आया जब महिलाओं के किरदार को तवज्जों तो दी गई लेकिन उन्हें एक बोल्ड रूप में पेश किया गया। कहानी से ज्यादा मूवी में उनके गाने और डांस पर फोकस​ किया गया। कुछ वक्त ऐसा ही चलता रहा। इसके बाद 90 के दशक में आई एक्ट्रेस रेखा की फिल्म ‘खून भरी मांग’ में एक सश्क्त महिला के किरदार को पर्दे पर पेश किया। इस फिल्म में दिखया गया कि किस तरह एक महिला अपने परिवार को और खुद को बचाने के लिए संघर्ष करती है। हालांकि रेखा की ‘खून भरी मांग’ से पहले साल 1972 में हेमा मा​लिनी की फिल्म ‘सीता गीता’ आई थी। इसमें हेमा को डबल रोल में दिखाया गया था, लेकिन रेखा का किरदार ज्यादा दमदार रहा है।

बदला महिला किरदारों का रूप:

फिर एक दौर ऐसा आया जब हिरोइनें, हीरों पर भारी पड़ी। वहीं उनके इस दमदार किरदारों को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस लिस्ट में श्रीदेवी की ‘इंग्लिश विंग्लिश’, रानी मुखर्जी की ‘मर्दानी’, कंगना रनोट की ‘क्वीन’, ‘पंगा’, तब्बू की ‘अस्तित्व’, विद्या बालन की ‘कहानी’ जैसी फिल्मों ने एक्ट्रेसेस को एक नया आयाम दिया।