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Punjab: 607 करोड़ का गेहूं सड़ा, अब अमीरों के प्याले में छलकेंगे सवा करोड़ गरीबों के निवाले

जालंधर। पंजाब एग्रो फूड कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएएफसीएल) पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन (पीएसडब्ल्यूसी) के कुप्रबंधन और लापरवाही के चलते पिछले चार सालों में 607 करोड़ का गेहूं सड़ गया है। यह खुलासा पंजाब विधानसभा में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट (कैग) में किया गया है। सड़ा हुआ गेहूं 1.36 करोड़ लाभार्थियों को आटा-दाल योजना के तहत खिलाने के लिए पर्याप्त था। गेहूं सड़ने के बाद इसे नीलाम कर दिया जाता है। ज्यादातर सड़े हुए गेहूं को शराब और बीयर बनाने वाली कंपनियां खरीद लेती हैं। इसलिए यहां कहना उचित होगा कि सवा करोड़ से ज्यादा गरीबों के निवाले अमीरों के प्यालों की शान बनेंगे। यहां यह बताना भी लाजमी है कि सूबे में जहां पर करोड़ों रुपए का गेहूं गोदामों में सड़ रहा है वहीं बाजारों में आटा 26 से 30 रुपए किलो बिक रहा है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, कि उचित भंडारण व्यवस्था न होने के कारण गेहूं में संक्रमण होने के कारण 2014-15 से 2017-18 तक 607 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि खराब गेहूं के निपटान में देरी करने और गोदामों की सुरक्षा पर 8.57 करोड़ रुपए का खर्च हुआ है। उल्लेखनीय है कि पीएएफसीएल और पीएसडब्ल्यूसी भारत सरकार के केंद्रीय पूल के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से गेहूं की खरीद करते हैं।

भंडारण में खराब होने वाले गेहूं को दो एजेंसियों द्वारा आरक्षित मूल्य के वर्गीकरण और निर्धारण के बाद ई-टेंडरिंग द्वारा निपटाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमित गेहूं को क्षतिग्रस्त घोषित करने और उसके निपटान की प्रक्रिया जारी है। यह पहली बार नहीं है कि कैग ने क्षतिग्रस्त गेहूं के मुद्दा उठाया है। 2010-11 की ऑडिट रिपोर्ट में लापरवाही के कारण गेहूं के अनुचित भंडारण के कारण भी नुकसान पड़ा था। यहां यह भी बताना जरूरी है कि राज्य सरकार सालाना 70 लाख मीट्रिक टन गेहूं को अटा-दाल योजना के तहत वितरित करती है।