दिल्ली हिंसा: 11 दिन पहले हुई थी शादी…सुबह काम पर गया, रात को शव पहुंचा घर
नई दिल्लीः दिल्ली में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है और साथ ही हिंसा के जख्म भी दिखने लग हैं। बीते दो-तीन दिनों में दिल्ली में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों की आपबीती झकझोर देने वाली थी। कोई घर से काम पर गया लेकिन जिंदा नहीं लौटा तो कोई अपने भूखे बच्चे के लिए दूध लेने गया और भीड़ का शिकार हो गया। मारे गए लोग भले ही किसी भी धर्म या मजहब के हों लेकिन सभी के परिजनों के मन में एक ही सवाल था आखिर उनका क्या कसूर था। कहीं पिता सिसकियां ले रहा है तो कहीं बच्चे पापा को तलाश रहे हैं। और किसी की तो अभी 11 दिन पहले ही शादी हुई थी और उसका सुहाग उजड़ गया।
- बुलंदशहर के सासनी गांव का रहने वाला अशफाक दिल्ली में इलेक्ट्रिशियन का काम करता था। उसकी 11 दिन पहले ही शादी हुई थी। हिंसा वाले दिन अशफाक बिजली ठीक करने घर से निकला था लेकिन वह हिंसक भीड़ का शिकार हो गया। दंगाइयों ने अशफाक को पांच गोली मारी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। अशफाक के चार भाई और चार बहनें हैं। शवगृह पर अशफाक की डेड बॉडी लेने आए उसके चाचा ने बताया कि वह पढ़ाई करना चाहता था लेकिन घर की जरूरतों को देखते हुए वह दिल्ली में नौकरी करने आ गया। मालूम नहीं था कि दिल्ली में उको जिंदगी नहीं मौत बुला रही है।
- शिव विहार के बाबू नगर में रहने वाला 26 साल का राहुल सोलंकी सोमवार शाम घर से बाहर दूध खरीदने गया था। रास्ते में भीड़ ने उसे घेर लिया। परिजनों ने कहा कि उसकी मौत गोली लगने की वजह से हुई है। राहुल परिवार में सबसे बड़ा था और एक निजी कंपनी में काम करता था। उसकी दो बहनें और एक भाई है। शव लेने के लिए उसकी बहनें और परिवार के अन्य सदस्य गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शव गृह के बाहर बैठे थे।
- बिहार के गया से काम की तलाश में दिल्ली आए दीपक मंगलवार को जाफराबाद में कपड़े खरीदने गया था, जहां भीड़ ने उसपर हमला कर दिया। दीपक को भी गोली मारी गई। अपने परिवार में वह अकेला कमाने वाला था। वह दिल्ली में मजदूरी करता था। परिवार में पत्नी के अलावा एक लड़का और दो लड़कियां हैं। हिंसा में मारे गए इन में किसी के खिलाफ भी कोई पुराना मामला दर्ज नहीं था। हिंसक भीड़ ने बिना किसी कारण के मासूम लोगों की जान ले ली।