पाकुड़: आजादी के 75 साल पूरे हो गए और देशवासियों ने जोश खरोश के साथ अमृत महोत्सव मनाया. लेकिन झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिला के गुट्टी पाड़ा गांव के लोगों को पेयजल कि समस्या से आजादी न तो शासन और न ही प्रशासन में बैठे लोग दिला पाए.
पाकुड़ जिला संवाददाता सुबल यदुवंशी कि इस खास रिपोर्ट को देखें
जहां पाकुड़ जिला के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के गुटीपाड़ा में आज के इस डिजिटल दुनिया में लोग पानी के लिए कैसे दर-दर भटकने को बेबस है। यहां करीब 28आदिम जनजाति परिवार के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं और गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर घने पहाड़ के नीचे झरना का गंदा पानी पीकर अपनी और अपने परिवार की प्यास बुझाते हैं।
पगटंडी के सहारे उबड़ खबड़ रास्ते से मुश्किलों के बीच किसी तरह घर पहुंचते है फिर दिनचर्या का कार्य करते हैं। यहां की लोगो कि माने तो चार पांच पीढ़ी बीत गया लेकिन आज तक शुद्ध पेय जल के लिए कोई पहल नहीं हुआ है। एक चापानल जरूर है लेकिन आदिम जनजाति के 28परिवार को शुद्ध पेय जल देने में फेल हैं।