नई दिल्ली। संसद ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को वित्तीय मदद मुहैया कराने के उद्देश्य से नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआइडी) के गठन को मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को आश्वस्त किया है कि उसके दोनों सदनों में हर वर्ष इस बैंक के अकाउंट की ऑडिट रिपोर्ट सौंपी जाएगी। लोकसभा ने एनएबीएफआइडी बिल को इस सप्ताह मंगलवार को मंजूरी दी थी। गुरुवार को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद इस बैंक के गठन का रास्ता साफ हो गया है।
एनएबीएफआइडी का काम लंबी अवधि की इन्फ्रा परियोजनाओं को वित्तीय मदद मुहैया कराना है। बैंक इन्फ्रा परियोजनाओं को वित्तीय मदद मुहैया कराने वाले बांड्स और डेरिवेटिव्स बाजारों को भी मजबूती देगा। सीतारमण ने कहा कि कानून का रूप लेने जा रहे इस विधेयक में निजी डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को पांच वर्षो तक टैक्स छूट की सुविधा दी जा रही है, ताकि बैंक में फंड का प्रवाह बना रहे। फिलहाल सरकार अपनी 100 फीसद हिस्सेदारी के साथ इसकी शुरुआत करेगी, जिसे बाद में घटाकर 26 फीसद पर लाया जाएगा।
वित्त मंत्री के मुताबिक इसमें सरकार की हिस्सेदारी उससे कम कभी नहीं होगी। सीतारमण के मुताबिक इस बैंक को 10 लाख करोड़ रुपये तक की पूंजी के लिए अधिकृत किया है। सरकार ने इसे इक्विटी के तौर पर अभी 20,000 करोड़ रुपये दिए हैं और 5,000 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में दिए गए हैं। इसके साथ ही बैंक सरकार की गारंटी के साथ आरबीआइ से कर्ज ले सकेगा। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2019 के बजट में अगले पांच वर्षो के दौरान इन्फ्रा क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा था। इसके तहत उस वर्ष के अंत तक सरकार नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन लेकर आई, जिसमें इन्फ्रा क्षेत्र की 700 परियोजनाएं शामिल की गई।