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चीन ने कोरोना वायरस को वुहान के बाद दूसरे शहरों में फैलने से कैसे रोका, जानें पूरी कहानी

बीजिंग। कोरोना वायरस के प्रसार की समय से सूचना देने में नाकाम रहा चीन अब यह दावा करने में जुट गया है कि वुहान शहर को आननफानन पूरी तरह से बंद (लॉकडाउन) करने से इस वायरस को दूसरे शहरों में फैलने से रोकने में सफल हो सका। अपने इस दावे के पक्ष में उसने एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन का हवाला दिया है।

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के हवाले से चीन का दावा

अध्ययन में कहा गया कि वुहान से बाहर वायरस को फैलने से रोकने के लिए चीन ने न केवल राष्ट्रीय आपात कार्रवाई की, बल्कि शहर को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि मध्य फरवरी तक उसके वायरस पीडि़त मामलों में 7.44 लाख तक की कमी आई।

चीन के इन प्रयासों की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तारीफ की

अध्ययन में कहा गया कि केवल वुहान में यात्रा प्रतिबंध से चीन में 202,000 मामले कम हो गए और अन्य क्षेत्रों में तैयारी का समय मिल गया। सरकारी अखबार चाइना डेली में शनिवार को प्रकाशित अध्ययन में चीन के इन प्रयासों की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तारीफ की, तो गत वर्ष दिसंबर में पता चले इस वायरस को फैलने से ना रोक पाने पर उसकी आलोचना भी की। बताया गया है कि अगले हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग वुहान में कई अस्पतालों का दौरा कर सकते हैं। इसमें लीशेंसन और होशेंसन अस्पताल शामिल हैं। चीन में जहां कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आई है, वहीं पिछले कई हफ्ते में चीन के बाहर यूरोप और अमेरिका विशेष रूप से ईरान और चीन में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है।

कैसे हुई कोरोना वायरस की उत्पत्ति

2019 के आखिर में चीन के वुहान शहर में जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ तो आदतन चीन ने इससे जुड़ी खबरों को दबाना शुरू किया। जब पानी सिर से ऊपर बहने लगा तो इसके समुचित इलाज और निदान के कदम उठाए जाने शुरू हुए। 23 जनवरी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के कोरोना वायरस के विशेषज्ञ शी झेंग ली ने पाया कि कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग (आनुवंशिक अनुक्रम) चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस (विषाणु) से 96.2 फीसद मिलती जुलती है और पिछले दिनों सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम) फैलाने वाले कोरोना वायरस से 79.5 फीसद मिलता है।

चाइनीज जर्नल के शोध में पता चला कि कोरोना वायरस का जीनोम अनुक्रम 87.6 से 87.7 फीसद चीनी प्रजाति के एक अन्य चमगादड़ों (हार्सशू) से मिलता है। हालांकि अभी भी इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह महामारी इस छोटे से स्तनधारी की वजह से फैली है।

पैंगोलिन भी कोराना का वाहक

कोरोना वायरस पैंगोलिन में भी पाया गया है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा तस्करी इसी जीव की होती है। इसकी त्वचा से परंपरागत चीनी औषधि तैयार की जाती है।